इनकम टैक्स कितना है चुकाना, मुश्किल नहीं गणना करना

इनकम टैक्स कितना है चुकाना, मुश्किल नहीं गणना करना 
मौजूदा कारोबारी साल खत्म होने में बमुश्किल से कुछ दिन बचे हैं। कितना इनकम टैक्स चुकाना है, इसको लेकर अब भी बहुत सारे लोग जद्दोजहद कर रहे होंगे। अगर आप भी इस बात को लेकर उलझन में हैं तो चलिए हम आपकी इस उलझन को कुछ हद तक सुलझाने में मदद कर रहे हैं।
   इसके लिए आपको जो सैलरी स्लिप मिलती है, उस पर नजर डालनी होगी। आपकी सैलरी में कई कैटेगरी होती हैं। मसलन, बेसिक, डीए यानि महंगाई भत्ता, फूड कुपन्स, एल टी ए यानी लोकल ट्रेवलिंग अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, ट्रेवलिंग अलाउंस,  यूनिफॉर्म अलाउंस, कन्वेंस री-इम्बर्समेंट, मोबाइल-टेलिफोन री-इम्बर्समेंट, प्रोविडेंट फंड, गिफ्ट बाउचर, क्लब मेंबरशिप, पेपर-मैगजीन री-इम्बर्समेंट, चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस, एचआरए, ग्रैच्यूटी, स्पेशल अलाउंस बगैरह-बगैरह। कभी-कभी आपको बोनस भी मिल जाता होगा। कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को इंटरेस्ट फ्री या कंसेशनल लोन भी देती हैं।
  अब आप सोच रहे होंगे कि इनमें से कौन पूरी तरह टैक्सयोग्य है, कौन आंशिक और किसमें पूरी तरह से टैक्स छूट है। तो चलिए हम एक-एक करके इस बारे में चर्चा करते हैं।
1- बेसिक सैलरी- ये पूरी तरह टैक्सयोग्य होती है।
2-डीए यानी महंगाई भत्ता-इसमें भी पूरी रकम पर आपको टैक्स चुकाना होगा।
3-फूड कूपन्स-ये आंशिक टैक्सयोग्य होते हैं यानि जितनी रकम मिलती है उसके आधे पर टैक्स चुकाना होता है।
4-एलटीए-ये भी आंशिक टैक्सयोग्य होता है।
5-मेडिकल अलाउंस- साल में 15 हजार रुपए तक टैक्स फ्री यानि इतनी रकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा
6- ट्रेवलिंग अलाउंस- महीना में 800 रुपए यानि सालाना 9600 रुपए पर टैक्स छूट। यानी अगर आप 9600 रुपए खर्च करते हैं तो इस पर टैक्स नहीं देना होगा।
7-यूनिफॉर्म अलाउंस-बिल के मुताबिक पूरी तरह से टैक्स फ्री यानी जितना का बिल रहेगा, उस पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा।
8- कन्वेंस री-इम्बर्समेंट-बिल के मुताबिक पूरी तरह से टैक्स फ्री यानी जितना का बिल रहेगा, उस पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा।
9- मोबाइल-टेलिफोन री-इम्बर्समेंट-बिल के मुताबिक पूरी तरह से टैक्स फ्री यानी जितना का बिल रहेगा, उस पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा।
10-प्रोविडेंट फंड-सेक्शन 80 सी के तहत कर्मचारियों का योगदान पूरी तरह से टैक्स फ्री
11- गिफ्ट बाउचर-ये आंशिक टैक्सयोग्य होते हैं यानि जितनी रकम मिलती है उसके आधे पर टैक्स चुकाना होता है।
12-क्लब मेंबरशिप-पूरी तरह टैक्सयोग्य
13-पेपर-मैगजीन री-इम्बर्समेंट-बिल के मुताबिक पूरी तरह से टैक्स छूट यानी जितना का बिल रहेगा, उस पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा।
14-चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस-हरेक महीने प्रति बच्चा तीन सौ रुपए टैक्स फ्री, लेकिन दो बच्चों तक सुविधा सीमित। यानि 7200 रुपए तक टैक्स बचा सकते हैं।
15-बोनस-पूरी तरह टैक्सयोग्य
16-इंटरेस्ट फ्री या कंसेशनल लोन- साल में 20 हजार रुपए तक पूरी तरह से टैक्स छूट या फिर किसी खास बीमारी के लिए लेने पर
17-एचआरए- मेट्रो में बेसिक का 50%, नॉन मेट्रो में बेसिक का 40%, या फिर बेसिक का 10% किराया, दोनों में से जो कम हो, उतना टैक्स फ्री
18-ग्रैच्यूटी-सरकारी कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री, बाकियों के लिए 10 लाख रुपए तक टैक्स फ्री
19-स्पेशल अलाउंस- पूरी तरह से टैक्सयोग्य
         तो, है न, टैक्स की गणना करना आसान। आप भी अब आसानी से इस बात का पता लगा सकता हैं कि आपको इस साल कितना टैक्स चुकाना है। अगर आपको लगता है कि टैक्स चुकाना पड़ेगा, तो टैक्स छूट वाले इन्वेस्टमेंट इन्सट्रूमेंट्स में निवेश करें और टैक्स बचाएं। हां, एक बात और नोट कर लीजिए, इस मामले में आप अपने सीए से जरूर सलाह लें।

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