यहां कल क्या हो, किसने जाना...इसलिए इंश्योरेंस जरूर करवाना


इंश्योरेंस यानी जीवन के हर मोड़ के लिए जरूरी वित्तीय सुरक्षाकवच
वो गाना तो आपको याद है ना - जिंदगी एक सफर है सुहाना, यहां कल क्या हो, किसने जाना..... हम तो चाहेंगे कि आपकी जिंदगी सपरिवार सुहाना ही बना रहे, लेकिन हमारी जिंदगी अनिश्चतताओं और अनहोनी से भरी हुई है। क्यों जरूरी है इंश्योरेंस: सड़क हादसे नई बात नहीं, इलाज और बच्चों की पढ़ाई लगातार महंगी होती जा रही है, कब किसको हार्ट अटैक आ जाए, गंभीर बीमारी घेर ले, कहना मुश्किल है,
आंधी, तूफान, बाढ़, कुदरत का कहर आज देश-दुनिया के किसी कोने में हम देख सकते हैं, आतंकवादी लगातार अपना पंजा फैला रहे हैं, आतंकवादी हमले से आज कोई देश सुरक्षित नहीं है, जरा एक पल के लिए सोचें कि इनमें से किसी भी एक अनहोनी का आप शिकार हो जाएं, तो फिर आपके आश्रितों पर गुजरेगी या फिर आपको इलाज की जरूरत पड़ी तो अचानक इतने सारे पैसे कहां से लाएंगे।
ऐसे ही आपदाओं से आर्थिक नुकसान के असर को कम करने और अपने आश्रितों की जिंदगी आपके बिना भी सही सलामत चले, उनको भविष्य में पैसों के लिए किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े, इंश्योरेंस का जन्म हुआ है। इसके अलावा भी बीमा कई दूसरे मामले के लिए भी फायदेमंद हैं। मसलन, होमलोन इंश्योरेंस, ऑटो इंश्योरेंस बगैरह-बगैरह।
बदलते समय के साथ जीवन की आधारभूत जरूरतें भी बदल गई है। आम मध्यमवर्गीय इंसान की जिंदगी की प्रमुख जरूरतों में भोजन, घर, वाहन के साथ बीमा को भी शामिल करना जरूरी हो गया है। लेकिन याद रखें इंश्योरेंस का प्राथमिक लक्ष्य ना तो टैक्स बचत होना चाहिए और ना ही बेहतर रिटर्न कमाना, बल्कि मुसीबत का बड़ा साथी है इंश्योरेंस।
कितने का इंश्योरेंस लेना सही होगा: जानकारों का मानना है कि अपनी जरूरत और हैसियत के हिसाब से ही किसी भी इंसान को इंश्योरेंस लेना चाहिए। ज्यादातर मामलों में देखा जाता है किलोग बीमा पॉलिसी बिना किसी जानकारी के ही केवल एजेंटों पर भरोसा करके ले लेते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि कुछ अवधि बाद जब प्लान में अच्छे रिटर्न नहीं मिलते हैं तो उसे बंद कर देते हैं या फिर नियमित प्रीमियम देना बंद कर देते हैं, जिससे भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
जानकारों का मानना है कि जरूरत के मुताबिक पॉलिसी नहीं होने से आपकी फैमिली को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आप दो आधार पर इस बात का फैसला कर सकते हैं कि आपको कितने का इंश्योरेंस लेना चाहिए। पहला, अपनी सालाना आमदनी की 8-10 गुना रकम का इंश्योरेंस करवाएं। मसलन, अगर अभी आपकी सालाना आमदनी 24 लाख रुपए है तो आपको करीब ढाई करोड़ रुपए का इंश्योरेंस करवाना चाहिए। 
दूसरा फॉर्मूला: (कुल घरेलू सालाना खर्चxआपकी फैमिली को जितने साल आपकी इनकम की जरूरत है)+ बकाया कर्ज (होम लोन+व्हीकल लोन + पर्सनल लोन या अन्य लोन) + भविष्य में होने वाला एक बार का खर्च (बेटे की पढ़ाई  +  बेटी की पढ़ाई   + बच्चों की शादी बगैरह)- आपकी मौजूद संपत्ति और निवेश मसलन, EPF&PPF, म्युचुअल फंड, बैंक FD, प्रॉपर्टी, सोना समेत अन्य संपत्ति 
लेकिन, बीमा पॉलिसी लेते वक्त कुछ दूसरी बातों का ध्यान रखना चाहिए --
- सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा ना करें।
- जिस प्लान के बारे में भी आपको बताया जा रहा है, उसका नाम अवश्य नोट कर लें।
- संबंधित प्लान का कंपनी की वेबसाइट पर जाकर अच्छी तरह से अध्ययन कर लें।
- कोई बात समझ नहीं आने पर वेबसाइट पर दिए कंपनी के टोल-फ्री नंबर पर संपर्क करें।
- इसके बाद भी कई बातें अनसुलझी रह जाती हैं तो आप सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर से भी सलाह ले सकते हैं।
- फॉर्म भरते समय यह सुनिश्चित कर लें कि जिस प्लान का आपने चयन किया है, उसी प्लान के लिए आवेदन किया जा रहा है।
- पॉलिसी प्राप्त होने पर जो फीचर आपने समझे थे, उनकी जांच तुरंत कर लें, क्योंकि आपके पास पॉलिसी प्राप्त होने से 15 दिवस के अंदर बिना किसी खर्चे के पॉलिसी बंद करने का विकल्‍प होता है। इसे फ्री लुक पीरियड भी कहा जाता है। ध्‍यान रहे फ्री लुक पीरियड निकलने के बाद आपके पास कोई विकल्‍प नहीं रह जाएगा।
बीमा पॉलिसी की वजह से व्यक्ति, कारोबारी और संगठनों को संभावित नुकसान से बचने में काफी फायदा होता है। बीमा पॉलिसी में प्रीमियम के जरिए निवेश कर संबंधित लोग नुकसान से बचने की पहल करते हैं। लिहाजा साफ है कि किसी संभावित नुकसान से बचने के लिए ही बीमा पॉलिसी खरीदी जाती है।
इंश्योरेंस के बारे में कुछ जानकारी:
- Insurance (बीमा):भुगतान के बदले नुकसान के जोखिम का बराबर का स्थानांतरण, किसी अनहोनी, अनिश्चिचतता से होने वाले नुकसान के लिए जोखिम मैनेजमेंट, मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा और भरोसेमंद साथी, अनिश्चित घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा कवच, रिस्क मैनेजमेंट टूल, अनिश्चित घटनाओं से होने वाले आर्थिक नुकसान के असर को कम करने का टूल, जीवन के हर मोड़ के लिए जरूरी, वित्तीय सुरक्षाकवच
-अनिश्चित घटना का मतलब: एक्सीडेंट, घर के मुखिया की अचानक मौत, गंभीर बीमारी, घर में
आग लगना, नौकरी अचानक चली जाना, आतंकवादी हमले आदि
-इंश्योरेंस का लक्ष्य: अनिश्चित घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा कवच न कि टैक्स बचत और रिटर्न का टूल
-IRDA: Insurance Regulatory & Development
Authority; बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण
-IRDA: इंश्योरेंस बाजार का रेगुलेटर; हर इंश्योरेंस कंपनी IRDA द्वारा रेगुलेट होती है। इंश्योरेंस कंपनियों को IRDA के नियमों का पालन करना होता है।
-insurer, or insurance carrier (इंश्योरर या इंश्योरेंस कैरियर):
इंश्योरेंस बेचने वाली कंपनी
-insured, or policyholder (इंश्योर्ड या पॉलिसीहोल्डर): इंश्योरेंस पॉलिसी
खरीदने वाली व्यक्ति या कंपनी
-प्रीमियम: इंश्योरेंस कवरेज के लिए ली जाने वाली रकम
-Risk management (जोखिम प्रबंधन):  जोखिम का अंदाज लगाने और जोखिम के
असर को कम करने अभ्यास
-इन्डेम्निटी (Imdemnity): इंश्योरर निश्चित रकम के बदले इंश्योर्ड या पॉलिसीहोल्डर को शर्तों के हिसाब से नुकसान होने पर वित्तीय मुआवजा देने का वादा करता है।
-इंश्योरेंस पॉलिसी:  निश्चित भुगतान के बदले पॉलिसीहोल्डर इंश्योरर से कॉन्ट्रैक्ट हासिल
करता है जिसमें इंश्योर्ड को इंश्योरर से वित्तीय मुआवजा के लिए शर्तों, परिस्थितियों का
विस्तार से जिक्र होता है।
-LIC: लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (जीवन बीमा निगम)
-GIC: जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (साधारण बीमा निगम)
- कहां से करवाएं इंश्योरेंस: इंश्योरेंस एजेंट, बैंक, वित्तीय सलाहकार, खुद से ऑनलाइन
-कब से इंश्योरेंस लेना शुरू करें: जैसे ही आमदनी मिलने लगे व्यक्ति को बचत, निवेश और इंश्योरेंस में क्षमतानुसार पैसे लगाना शुरू करना  चाहिए
-जीवन बीमा: जीवन बीमा एक ऐसा साधन है जिससे आप पर वित्तीय रूप से निर्भर रहने वालों को आपकी आकस्मिक मौत के बाद पैसों की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े
-जीवन बीमा पॉलिसी: टर्म पॉलिसी, एंडोवमेंट पॉलिसी (ट्रेडिशनल प्लान), जीवन भर के लिए पॉलिसी, मनी बैक पॉलिसी और यूलिप आदि जीवन बीमा के तहत आते हैं।
- हेल्थ इंश्योरेंस: आकस्मिक बीमार होने की सूरत में आपके इलाज के खर्च का भार उठाने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस बेहद जरूरी
- हेल्थ इंश्योरेंस के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी लेना जरूरी, मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत फैमिली फ्लोटर और यूनिट लिंक्ड जैसी सुविधाएं
-फैमिली फ्लोटर प्लान में एक तय रकम के अंतर्गत पूरे परिवार को कवर मिलता है, जबकि इंडीविज्युल प्लान में यह सुविधा नहीं होती है।
-दुर्घटना से होनेवाली विकलांगता पर बीमा: सड़क हादसों से होने वाले वित्तीय नुकसान के असर को कम करने में मदद
-घर के लिए बीमा: किसी अनहोनी के तहत घर में कोई बड़े नुकसान के असर कम करने के अलावा घर को सजाने और संवारने के लिए जरूरी
-ऑटोमोबाइल इंश्योरेंस:  गाड़ियों के दुर्घटनाग्रस्त की संभावनाएं ज्यादा, जोखिम लेने की बजाए सुरक्षा कवच के लिए ऑटोमोबाइल इंश्योरेंस करवाना फायदेमंद
-चाइल्ड प्लान:  बच्चों के भविष्य के लिए पैसे काफी जरूरी, माता-पिता के साथ किसी अनहोनी की हालत में बच्चों के लिए मददगार,
-कब शुरू करें चाइल्ड प्लान: जैसे ही आपके जीवन में संतान आ जाती है तो आपको तुरंत ही चाइल्ड प्लान लेना चाहिए
-पेंशन प्लान: रिटायरमेंट के बाद भी अपने तरीके से जीवन जीने में मददगार
-कब शुरू कर दें पेंशन प्लान: कमाई शुरू होने के साथ ही रिटायरमेंट के लिए भी बचत शुरू कर देनी चाहिए, पेंशन प्लान बेहतर विकल्प
-सिंगल प्रीमियम की पॉलिसी:  पालिसीधारक एक बार ही प्रीमियम का भुगतान करता है लेकिन  वह पूरी पॉलिसी की अवधि में इसका फायदा
-लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रकार :
1-टर्म इंश्योरेंस - सिर्फ इंश्योरेंस और कुछ नहीं
2-एनडाओमेंट पॉलिसी- इंश्योरेंस के साथ बचत भी
3-मनी बैक पॉलिसी- इंश्योरेंस के साथ बचत भी
4-यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप)- बाजार से जुड़ी इंश्योरेंस के साथ बचत पॉलिसी
-राइडर: कुछ टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी अतिरिक्त बेनेफिट के साथ आती हैं जिन्हें राइडर कहते हैं।राइडर आपकी बेस पॉलिसी के लिए एक टॉप अप की तरह होते हैं। अगर आप क्रिटिकल इलनेस राइडर लेते हैं तो यो आपके इलाज के खर्च के साथ क्रिटिकल इलनेस को भी कवर करेगी। क्रिटिकल इलनेस का खर्च काफी ज्यादा होता है इसके लिए अलग से राइडर लेना ठीक रहेगा। आप लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ क्रिटिकल इलनेस राइडर ले सकते हैं। इसके साथ आप डिसएबिलिटी राइडर भी ले सकते हैं। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में ये राइडर लेना सस्ता पड़ता है।
-ट्रैवेल इंश्योरेंस: देश और विदेश की यात्रा के पहले इंश्योरेंस जरूर लें। ट्रैवेल इंश्योरेंस करीब 80 साल तक की उम्र तक मिलता है, यह ज्यादा महंगा भी नहीं होता है। कुछ रुपए के प्रीमियम पर ट्रैवेल इंश्योरेंस आपकी यात्रा से जुड़े हर पहलू की जिम्मेदारी लेता है। जिसमें यात्री की सुरक्षा, उसके सामान की सुरक्षा, पैसे खो जाना, पासपोर्ट खो जाना, फ्लाइट छूट जाना या रद्द हो जाना और दुर्घटना जैसे मसले ट्रैवेल इंश्योरेंस के तहत कवर हो जाती हैं।
निवेश क्यों नहीं है इंश्योरेंस:  दोनों को एक साथ मिलाना बिल्कुल उचित निवेश नीति नहीं है। इंश्योरेंस आपकी सुरक्षा के लिए होता है और निवेश आपके पैसे पर रिटर्न देने के लिए होता है।एन्डोमेंट प्लान, होल लाइफ प्लान, पेंशन प्लान, मनी बैक प्लान, चाइल्ड प्लान, यूलिप प्लान आदि निवेश प्लान की श्रेणी में आते हैं। इन प्लान को चुनने के पीछे हमारा उद्देश्य बीमा कवर के साथ निवेश पर रिटर्न प्राप्त करने का भी होता है, जबकि बीमा कवर का मुख्य उद्देश्य परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना होता है।
कम रिटर्न : आमतौर पर ऐसे प्लान में सालाना रिटर्न 5 से 6 परसेंट ही मिल पाता है। महंगाई के इस दौर में इतने कम रिटर्न से जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करना संभव नहीं है। निवेश ऐसे साधनों में होना चाहिए, जिससे हम महंगाई दर को मात दिया जा सके।
कम जीवन बीमा कवर : ऐसे प्लान में सालाना प्रीमियम का 10 से 20 गुना ही कवर मिल पाता है, जिससे हम अधिक बीमा कवर नहीं ले पाते हैं। अधिक बीमा कवर के लिए टर्म प्लान ही सही है।
लंबी अवधि की बाध्यता : आमतौर पर ऐसा प्लान 10 साल से 25 साल की अवधि के होते हैं। इनमें पूरी अवधि तक प्रीमियम चुकाने की बाध्यता होती है अन्यथा ये प्लान लेप्स हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में जीवन बीमा कवर समाप्त हो जाता है एवं अवधि पूर्व सरेंडर करने पर बहुत ही कम राशि वापस मिल पाती है।
नकदी की समस्या : इन प्लान में मैच्योरिटी के पूर्व पैसों की निकासी नहीं की जा सकती है। बीच में यदि पैसे की जरूरत हो तो मजबूरीवश लोन ही लेना पड़ता है। इस तरह के प्लान पर लोन लेने पर जितना रिटर्न मिलता है उससे कहीं ज्यादा लोन पर ब्याज चुकाना होता है।

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