शेयर बाय-सेल-होल्ड-स्टॉप लॉस से पहले....

ये PE, RoCE रेश्यो क्या है
कंपनियां अंतिम तिमाही के नतीजे पेश करने वाली है। जाहिर है आप भी निवेश की नई रणनीति बनाने में जुटे होंगे। जानकारों की शेयर बाय-सेल-होल्ड-स्टॉप लॉस की राय के बीच आप भी निवेश को लेकर माथा-पच्ची कर रहे होंगे।
लेकिन, किसी भी शेयर में पैसे लगाने या उस पर कोई फैसला लेने से पहले इन सात बातों पर गौर करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
1-प्राइस टू अर्निंग रेश्यो (PE):शेयर बाजार में निवेश के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला रेश्यो है PE रेश्यो। ये किसी स्टॉक की कीमत और उसकी अर्निंग प्रति शेयर को दर्शाता है।
PE:किसी स्टॉक की कीमत/ कंपनी की EPS(अर्निंग प्रति शेयर)
निवेशक के लिए PE रेश्यो के मायने:  इस रेश्यो से एक ही इंडस्ट्री की कंपनियों के वैल्युएशन की तुलना की जाती है। इससे ये देखा जाता है कि फंडामेंटली मौजूदा कीमत के आधार पर कोई शेयर दूसरे शेयर के मुकाबले सस्ता है या महंगा।  यानी इससे आप कंपनियों के बीच वैल्युएशन के आधार पर आसानी से तुलना कर सकते हैं।
किसी भी शेयर के अधिक PE रेश्यो का मतलब है कि उसका वैल्युएशन अधिक है यानी शेयर मौजूदा कीमत पर महंगा है और अपने फंडामेंटल से आगे चल रहा है। लेकिन इसका दूसरा मतलब भी है कि बाजार उस कंपनी से आगे अच्छे ग्रोथ की उम्मीद कर रहा है।
दूसरी तरफ, कम PE रेश्यो का मतलब शेयर का फंडामेंटल के मुकाबले सस्ता होना या कम वैल्युएशन होता है। लेकिन कंपनी के खराब प्रदर्शन की वजह से भी ऐसा संभव हो सकता है। ये भी याद रखें कि PE वैल्युएशन अलग-अलग इंडस्ट्री पर निर्भर करता है।
इस तरह , PE रेश्यो से हम जान सकते हैं कि अगर शेयर सस्ता है तो उसमें खरीदारी की जा सकती है और अगर महंगा है तो प्रॉफिट बुक करने का सुनहरा मौका हो सकता है या फिर अगर इसमें और पैसा लगाना चाहते हैं तो कुछ गिरावट का इंतजार करें।

2-प्राइस टू बुक वैल्यू रेश्यो (PBV): किसी स्टॉक की मौजूदा कीमत और उसकी बुक वैल्यू (कंपनी की कुल संपत्ति -कंपनी की कुल देनदारी) का रेश्यो होता है PBV।
PBV: स्टॉक की कीमत/स्टॉक की बुक वैल्यू (कंपनी की कुल संपत्ति-कंपनी की कुल देनदारी)
निवेशक के लिए PBV रेश्यो के मायने: कम PBV का मतलब हुआ मौजूदा स्तर पर कोई भी स्टॉक आकर्षक है यानी आप इसमें पैसे लगा सकते हैं।
लेकिन, 1 से कम होने का मतलब हुआ कंपनी अपने नाम, ख्याति, कीमत के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रही है।यानी कम  PBV के आधार पर किसी भी शेयर में पैसा लगाना या उसमें बने रहना जोखिमपूर्ण भी हो सकता है।

3-प्राइस टू सेल्स रेश्यो (PS):ये किसी स्टॉक की मौजूदा कीमत और प्रति शेयर आय का रेश्यो होता है।
PS:किसी स्टॉक की मौजूदा कीमत/प्रति शेयर आय
निवेशक के लिए PS रेश्यो के मायने: किसी भी स्टॉक के कम PS का मतलब हुआ इसमें पैसा लगाया जा सकता है। लेकिन, ये इंफ्रा, सीमेंट, ई-कॉमर्स जैसी कंपनियों के मामले में सटीक बैठता है।
लेकिन, ध्यान रखें कि ये अनुपात  सिर्फ सेल्स को दर्शाता है ना कि मुनाफा को।

4-डेट टू इक्विटी रेश्यो (Debt-Equity Ratio): इससे कंपनी पर कर्ज और उसके इक्विटी आधार का पता चलता है। इससे कंपनी के एसेट में कर्ज की कितनी हिस्सेदारी है, ये भी पता चलता है।
Debt-Equity Ratio:लंबी अवधि का कुल कर्ज / शेयर होल्डर की हिस्सेदारी
निवेशक के लिए Debt-Equity Ratio के मायने: डेट-इक्विटी रेश्यो अगर एक से ज्यादा हो, तो संभलकर निवेश करने की जरूरत है। ज्यादा रेश्यो करीब 15-20 होने का मतलब हुआ कि कंपनी के पास कर्ज चुकाने के लिए मजबूत एसेट आधार नहीं है।
कंपनी पर ज्यादा कर्ज से ये भी मतलब निकलता है कि कंपनी के मुनाफे का ज्यादा हिस्सा कर्ज चुकाने पर खर्च होगा यानि उसके विस्तार योजना को झटका लग सकता है।
ध्यान रखें- अलग-अलग इंडस्ट्री के लिए डेट-इक्विटी रेश्यो अलग-अलग होता है।

5-एसेट टर्नओवर रेश्यो: रेवेन्यू/कुल एसेट
निवेशक के लिए एसेट टर्नओवर रेश्यो के मायने: ज्यादा रेश्यो निवेश के लिए बेहतर माना जाता है। हालांकि कम प्रॉफिट मार्जिन वाली कंपनियों के एसेट टर्नओवर रेश्यो भी अधिक होता है।

6-रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड रेश्यो (RoCE):
RoCE:EBIT (इंटरेस्ट, टैक्स से पहले की अर्निंग)/कुल एसेट-मौजूदा देनदारी 
निवेशक के लिए RoCE रेश्यो के मायने: जितना अधिक रेश्यो होगा, निवेश के लिए उतना ही फायदेमंद माना जाता है। लागत में कटौती की वजह से इस रेश्यो में बढ़ोतरी मानी जाती है।

7-करेंट रेश्यो: मौजूदा एसेट/ मौजूदा देनदारी
निवेशक के लिए करेंट रेश्यो के मायने:  इस रेश्यो के शून्य से कम होने पर माना जाता है कि किसी कंपनी के पास वर्किंग कैपिटल को लेकर काफी समस्या है और कंपनी शायद जरूरी भुगतान करने से भी चूक सकती है। उच्चतर रेश्यो का मतलब हुआ कि कंपनी के पास पर्याप्त नकदी है। हालांकि उच्चतर रेश्यो को हमेशा अच्छा नहीं समझना चाहिए, क्यों कि इससे ये भी पता चलता है कि कंपनी अतिरिक्त नकदी का निवेश नहीं कर रही है।

डिस्कलेमर: ये सिर्फ जानकारी के लिए है और लेखक की निजी राय है, पाठक इसे निवेश के लिए सलाह नहीं समझें। 

पढ़ें: शेयर बाजार में बढ़ने लगे हैं नए निवेशक-
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/04/ blog-post_4.html

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