SMEs के लिए बेहतर कौन; करेंट अकाउंट या म्युचुअल फंड स्कीम?

देश की इकोनॉमी में एसएमई यानी छोटे-मझोले उद्योगों का महत्पूर्ण योगदान है, बावजूद इसके इन उद्योगों को हमेशा पैसों की कमी से जूझना पड़ता है। लेकिन, निवेश को लेकर कुछ सावधानी बरत कर कारोबारी पैसों की तंगी को कुछ हद तक दूर कर सकते हैं।
इकोनॉमी में SMEs का योगदान:
-11 करोड़ लोगों को रोजगार
-ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग
सेक्टर में 37.5% का योगदान
-GDP में 7.3% की हिस्सेदारी

कैसे दूर होगी पैसों की तंगी: करेंट अकाउंट में अपने पैसों को रखने की बजाय कारोबारियों को कुछ चुनिंदा म्युचुअल फंड स्कीम में निवेश करने से ज्यादा लाभ होगा। जब करेंट अकाउंट में पैसा रखते हैं तो इंटरेस्ट नहीं मिलता है लेकिन सोच-समझकर म्युचुअल फंड में पैसे लगाने से साल भर में 9-10 % रिटर्न मिलने की तो उम्मीद रहती ही है। जानकारों की मानें तो कारोबारी किसी लिक्विड स्कीम, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म स्कीम और शॉर्ट टर्म स्कीम में पैसे लगाकर अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं।

करेंट अकाउंट बनाम म्युचुअल फंड स्कीम:
-रिटर्न: करेंट अकाउंट में पैसे रखने पर कुछ भी इंटरेस्ट नहीं मिलता है। हालांकि बैंक आपके पैसे से जरूर पैसा बना लेते हैं। दूसरी ओर, चुनिंदा म्युचुअल फंड स्कीम आपको साल भर में 9-10% का रिटर्न दे सकती है।

-लिक्विडिटी: लिक्विडिटी के मामले में भी म्युचुअल फंड स्कीम में पैसा लगाना करीब-करीब बैंक जैसा ही है।

-सुरक्षा: बैंकों की तरह ही म्युचुअल फंड स्कीम में भी आपका पैसा सुरक्षित रहता है क्योंकि इस पर मार्केट रेगुलेटर सेबी की कड़ी नजर रहती है। साथ ही कुछ कायदे-कानून के तहत म्युचुअल फंड में कारोबार होता है।
जानकारों का कहना है कि कारोबारियों को महीने या तिमाही का खर्च बैंक में रखना चाहिए, बाकी के पैसे लिक्विड स्कीम, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म स्कीम और शॉर्ट टर्म स्कीम में लगाना चाहिए।

डिस्क्लेमर: यह सिर्फ जानकारी के लिए है। कृप्या इसे निवेश के लिए लेखक की राय ना मानें। किसी भी स्कीम में निवेश करने का फैसला आप अपने विवेक से लें। 

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