संकट में संकट का साथी 'सोना'! अभी क्या करें

धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपत काल परेखऊ चारी...। बचपन से हमलोग ये सुनते आ रहे हैं कि आफत यानी संकट के समय में आपके धीरज, धर्म, मित्र और नारी यानी आपकी पत्नी की पहचान होती है। लेकिन, इसमें सोना का, जो कि हमेशा से ही संकट का सबसे भरोसेमंद साथी माना जाता रहा है, जिक्र नहीं है।

आज वही सोना संकट में है। हाल की कुछ अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं ने सोने की चमक फीकी कर दी है। यही वजह है कि उसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी गिर रही है।

सोना अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सितंबर 2011 की अबतक की अपनी सबसे अधिकतम कीमत 1900 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस (1 औंस= 31.1 ग्राम) के मुकाबले 42% से ज्यादा की गिरावट के साथ 24 जुलाई को 1085.50 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर आ गई।

कुछ जानकार इसे 1000 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस तक फिसलने का अनुमान जता रहे हैं। घरेलू बाजार में भी ये 25 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के करीब बिक रहा है।

क्यों सहमा हुआ सोने:
-ग्रीस का कर्ज संकट फिलहाल टल गया है।

-ईरान ने अमेरिका के साथ न्युक्लियर डील हो चुकी है। ईरान पर
से प्रतिबंध हट चुका है।

-मेटल्स के सबसे बड़े उपभोक्ता देश चीन में बिकवाली का दौर
देखा जा रहा है। इसके अलावा, आने वाले दिनों में चीन में
इकोनॉमिक समस्या को देखते हुए गोल्ड जूलरी की मांग में
कमी आने की संभावना है।

-अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने
की संभावना से भी सोना सहमा हुआ है। इस साल सितंबर से
ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना कुछ जानकार जता रहे हैं।

अगले हफ्ते फेडरल रिजर्व की दो दिनों की बैठक होने वाली है, जिसपर भी बाजार की नजर है। इस बैठक से ब्याज दर बढ़ने के समय को लेकर कुछ सफाई मिल सकती है।

-दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड ETF, SPDR गोल्ड ट्रस्ट की कुल गोल्ड होल्डिंग्स 2012 के 1291 टन से घटकर इस समय करीब 690 टन हो गई है।

-भारत, जो कि सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, में 1 लाख रुपए से अधिक के सोने की खरीदी पर परमानेंट
अकाउंट नंबर यानी PAN की अनिवार्यता सोने की मांग
पर असर डाल रही है।

इसके अलावा, मॉनसून के कमजोर रहने की वजह से ग्रामीण
आमदनी में कमी की संभावना जताई जा रही है।

शादी-ब्याह के मौके पर सोने की चमक बढ़ जाती है, लेकिन इस साल
ज्यादा लगन नहीं है, जो कि सोना के लिए जरूर ही अच्छी खबर
नहीं है।

यानी कुल मिलाकर, फिलहाल सोने में तेजी का कोई खास ट्रिगर नहीं दिख रहा है, सिवाय टेक्निकल या दाम गिरने पर थोड़ी मांग बढ़ने के अलावा।

निवेशक अब उधेड़बुन में हैं कि संकट में पड़े संकट के सबसे भरोसेमंद साथी सोना में पैसा लगाएं या नहीं। कुछ निवेशक तो महंगा सोना खरीदकर पहले ही अपना हाथ जला चुके हैं, वो और तेजी की उम्मीद कर रहे हैं जबकि कुछ को सोने का दाम अभी और नीचे आने का इंतजार है।

(मैंंने अपने दूसरे ब्लॉग में 29 अप्रैल 2013 को ये आर्टिकल लिखी थी...आप भी पढिये.....

सोना भी चला शेयर बाजार और चांदी के रास्ते !


http://blogs.rediff.com/paiselelo/2013/04/29/aayaa-aay-asaa-aayaa-aaaaa-aa-asaaaay-aay-aaaayaay/

कोई टिप्पणी नहीं