टाटा की 'रतन' स्टार्टअप कंपनियां

देश में इन दिनों स्टार्टअप कंपनियों की धूम है। आए दिन खबरों में  स्टार्टअप कंपनियों द्वारा पैसे जुटाने और उसके विस्तार के बारे  में पढ़ने-सुनने को मिलता है।

मोदी सरकार भी देश में आंत्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिए जोर-शोर से लगी हुई है। हाल ही में शुरू की गई स्किल इंडिया  प्रोग्राम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी मुहिम का हिस्सा है।

देश के कई जाने-माने इंडस्ट्रियलिस्ट भी काफी बढ़-चढ़कर इन स्टार्टअप कंपनियों को मदद दे रहे हैं। स्टार्टअप कंपनियों को मदद करने वाली इंडस्ट्रियलिस्ट की लिस्ट में एक नाम है रतन टाटा का।

दो दशक से ज्यादा समय तक टाटा ग्रुप की सफलतापूर्वक अगुआई करने वाले रतन टाटा
इन दिनों स्टार्टअप कंपनियों में निवेश को लेकर खबरों में रहते हैं। टाटा सन्स के चेयरमैन रतन टाटा पिछले तीन साल में  कम से कम 10 स्टार्टअप कंपनियों में पैसा लगा चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश में आज आंत्रप्रन्योरशिप की वैसी ही लहर
है जैसा कि 1970 या 80 के दशक में अमेरिका में हुआ करती थी।

रतन टाटा का बड़प्पन तो देखिए, कॉर्पोरेट जगत में इतने कामयाब रहने के बावजूद उनका कहना है कि वो अभी भी आंत्रप्रन्योरशिप के बारे में सीख रहे हैं। किसी भी आंत्रप्रन्योर्स के लिए रतन टाटा का ये कथन काफी मायने रखता है।

टाटा की 'रतन' स्टार्टअप कंपनियां: 

टाटा ने युवाओं से कहा कि उन चीजों पर ध्यान दें, जिनसे लोगों के जीवन में परिवर्तन आए और वे हमेशा अपने आप से यह सवाल करें कि क्या वे सही काम कर रहे हैं।

कई नई स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करने वाले टाटा ने कहा कि वह ऐसी कंपनियों को ढूंढते हैं, जो आम लोगों
की मदद करने के लिए काम कर रही हों।

टाटा ने बताया कि वह आगे स्वास्थ्य, पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहते हैं जिसमें कि भारत में बदलाव लाने की क्षमता हो। उन्होंने ये भी कहा कि भारत में अभी स्टार्टअप कंपनियों के लिए काफी संभावनाएं है।

रतन टाटा का मानना है कि भारत विविधताओं वाला देश है और छोटी-मोटी रिटेल दुकानों से लोगों की जरूरतें पूरी नहीं  हो सकती है, इसलिए ई-रिटेलर्स और ई-कॉमर्स कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।  साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि स्टार्ट अप कंपनियों को आज आर्थिक मदद की जरूरत है। पैसों की तंगी की वजह से कई स्टार्ट अप कंपनियां बंद हो जाती हैं।

आंत्रप्रन्योर्स को 'रतन' गुरु मंत्र: 


- स्टार्ट अप की राहों में काफी चुनौती आ सकती हैं लेकिन उनको उन चुनौतियों को मौके के रूप में लेना चाहिए, उससे भागना नहीं चाहिए

-आंत्रप्रन्योर्स में जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए। उन्हें इन्वेस्टर्स से पैसे लेकर अपने कॉन्सेप्ट पर लगन के साथ काम करते रहना चाहिए, पैसे मिलने या मुनाफा कमाने के बाद जिम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए।

-स्टार्ट अप को देश में बदलाव लाने, आम लोगों की जिंदगी को खुशहाल और आसान बनाने वाले कॉन्सेप्ट पर काम करना चाहिए।

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