मंगलवार को 'मंगल' करेंगे रघुराम राजन !

चार तारीख यानी मंगलवार को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा।  रॉयटर्स के पोल में अक्टूबर से पहले ब्याज दर में कटौती की उम्मीद नहीं है। लेकिन,अब तक का मैक्रोइकोनॉमिक डाटा इस बारे में क्या कहता है।

क्यों घटेगा रेट ?
मई में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार में कमी और थोक महंगाई दर के लगातार 8 वें महीने तक शून्य से नीचे बने रहने की वजह से ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश बनती है।
-मई IIP: 2.7%
-जून WPI: (-) 2.4%
-क्रेडिट ग्रोथ की गति काफी धीमी
-सरकार हर हाल में विकास दर बढ़ाना चाहती है और वह बार-बार ब्याज दरों में कमी की अपील कर रही है। इंडस्ट्री भी ग्रोथ बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में और कमी की मांग कर रहे हैं।
-जून में आठ कोर इंडस्ट्री की विकास दर मई के 4.4% के मुकाबले घटकर 3% हो गई है। IIP में आठ कोर इंडस्ट्री का योगदान 38% है। (http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/8.html )

-अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी। ईरान के साथ समझौते के बाद कच्चे तेल की कीमत में और कमी आने की संभावना है। कच्चा तेल सस्ता होने से डीजल, पेट्रोल जैसे पेट्रोलियम पदार्थों के दाम कम होंगे जिससे ट्रांसपोर्टेशन लागत में कमी संभव है। अगर ऐसा होता है तो महंगाई और नीचे आएगी।

क्यों नहीं घटेगा रेट ?
-जून में खुदरा महंगाई दर और खुदरा खाद्य पदार्थ महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है जो कि रिजर्व बैंक के लिए
चिंता का विषय है।
जून CPI: 5.4%
जून CFPI:5.48%
हालांकि, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज का मानना है कि CPI  महंगाई के आठ माह के उच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। मूडीज एनालिटिक्स के अनुसार CPI महंगाई में बढोतरी आधार प्रभाव की वजह से हुई है। मूडीज एनालिटिक्स के सहायक अर्थशास्त्री फराज सैयद ने शोध नोट में कहा, हमारा अभी भी मानना है कि केंद्रीय बैंक 2015 में ब्याज दरों में एक और कटौती करेगा।

-सितंबर में अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ा सकता है। हालांकि फेडरल रिजर्व की चेयरमैन जैनेट येलेन का कहना है कि ब्याज दर बढ़ाने से पहले वो ग्रोथ, जॉब मार्केट, महंगाई से जुड़े डाटा पर और सफाई का इंतजार करेंगी।

-ग्लोबल ग्रोथ को लेकर चिंता। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन ने अप्रैल-जून तिमाही में 7% की दर  विकास किया गया जो कि पिछले तिमाही के बराबर है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी ग्लोबल ग्रोथ का पूर्वानुमान घटा दिया है। अमेरिका ने अप्रैल-जून तिमाही में 2.3% की दर से विकास किया, लेकिन जानकारों को 2.5% ग्रोथ की उम्मीद थी।
-रेपो रेट में कमी के मुकाबले बैंकों ने ब्याज दरों में काफी कम कटौती  की है। जनवरी से अब तक रिजर्व बैंक रेपो रेट 0.75% कम कर चुका है जबकि बैंकों ने मुश्किल से ब्याज दरों में 0.30%  तक की ही कमी की है।

मॉनसून का अब तक का प्रदर्शन-
जून में ठीक-ठाक बारिश हुई लेकिन जुलाई में औसत से करीब 17% कम बारिश हुई है। हालांकि कृषि मंत्रालय के मुताबिक 31 जुलाई देशभर में करीब 764 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई है जो कि पिछले साल की इसी अवधि की बुआई के मुकाबले 9% अधिक है। (http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/764.html)
खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के लिए चिंता का विषय है लेकिन जिस हिसाब से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और दूसरी कमोडिटी की कीमत गिर रही है,
साथ ही अब तक खरीफ फसलों की बुआई का जो आंकड़ा है, उसे देखकर लगता है कि खुदरा महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक की चिंता आगे कुछ कम हो सकती है, और यही बात संकेत देती है कि मंगलवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन मंगल करेंगे।

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