बैंक कम जारी कर रहे हैं सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स ( CDs)

बैंकिंग सिस्टम में मौजूद आसान नगदी के बीच 2014-15 के हर पखवारे में सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स के औसतन निर्गमन (इशूअन्स) में कमी आई है।

बैंक रेगुलेटर रिजर्व बैंक ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 2013-14 के हर पखवारे में औसतन 30,600 करोड़ रुपए के सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स जारी किए गए जबकि 2014-15 में 29,700 करोड़ रुपए के।

रिजर्व बैंक के मुताबिक, इस साल 24 जुलाई को समाप्त पखवारे में केवल 3,760 करोड़ रुपए के सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स जारी किए गए जबकि इससे पहले के पखवारे में 22,650 करोड़ रुपए के सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स जारी किए गए थे। इस वित्त वर्ष में हर पखवारे औसतन 22,777 करोड़ रुपए के सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स जारी किए गए हैं।

शॉर्ट टर्म फंड जुटाने के लिए बैंक सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स जारी करते हैं। हाल के दिनों में बैंकों को  सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स के जरिए फंड जुटाने की जरूरत कम हो गई है क्योंकि सिस्टम में आसानी से नगदी मौजूद है।  जानकारों के मुताबिक, रिजर्व बैंक द्वारा इस साल रेपो रेट (जिस रेट पर बैंक केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं) में 0.75% की कटौती कर देने के बाद आसानी से नगदी मौजूद है। बैंक इस कटौती का फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। आसानी से नगदी का दूसरा पक्ष खराब क्रेडिट ग्रोथ भी है।

(( जून तिमाही में बैंकों की क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ में कमी 
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_58.html

हालांकि, इस दौरान कमर्शियल पेपर्स (CPs) के निर्गमन (इशूअन्स) में बढ़ोतरी देखी जा रही है। कंपनियां फंड जुटाने के लिए कमर्शियल पेपर्स जारी करते हैं। इससे फंड जुटाना बैंकों से कर्ज लेने के मुकाबले सस्ता पड़ता
है।

(( अब दूसरा, चौथा शनिवार को RTGS, NEFT, ECS मत कीजिएगा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_89.html

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