'Money मित्र' बनकर दें बच्चों को लाड़-प्यार

मुंबई में रहने वाले रत्नेश एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करते हैं। उनकी सैलरी अच्छी खासी है। लेकिन, हमेशा वो किसी न किसी कर्ज में डूबे रहते हैं। महीना अंतिम होते-होते न तो उनके सेविंग्स अकाउंट में और न ही उनकी जेब में इतने पैसे होते हैं कि कुछ दिन खर्च सही से चला सकें।

रत्नेश के दोस्त जब उनसे इस बारे में पूछते हैं तो उनका जवाब होता है “अरे, यार बचपन से कभी किसी ने पैसों का हिसाब-किताब रखना सिखाया ही नहीं और अब तो खुलकर खर्च करने की आदत हो गई, तो मैं क्या करुं ?

” रत्नेश का कहना कुछ हद तक जायज है। अगर बचपन से उन्हें पैसों का हिसाब-किताब रखने की आदत डाल दी जाती तो आज ऐसी नौबत नहीं  आती।

अगर आप चाहते हैं कि आगे चलकर आपके बच्चे ऐसी किसी संकट में नहीं फंसे, तो उसे अभी से ही पैसों की जानकारी देना शुरू कर दीजीए। बच्चों को पैसों का हिसाब-किताब के बारे में अगर उनके माता-पिता बता दें
तो ज्यादा अच्छा है। यानी बच्चों को ममता और प्यार देने के साथ-साथ उनको वित्तीय ज्ञान भी दी जाए तो भविष्य में उन बच्चों का काम आएगा।

रत्नेश के अलावा भी कई ऐसे लोग और दंपति हैं जो सैलरी तो अच्छी-खासी  कमाते हैं लेकिन पैसों की अहमियत समझकर उनका सही इस्तेमाल करना या फिर बजट बनाना उनके लिए काफी मुश्किल काम होता है।

इतना सबकुछ जानने के बाद अगर आपने अपने मासूम लाड़ला या लाड़ली को पैसों के बारे में जानकारी देने का विचार कर रहे हैं तो सोच रहे होंगे कि अपने बच्चों को किस उम्र से पैसों का हिसाब-किताब रखने की जानकारी दी जाए।

-जब बच्चा 5-6 साल का हो जाए: 
जब आपका 5-6 साल का हो जाए तो पैसों के बारे में बताना शुरू कर दें। सबसे पहले अपने बच्चों को नोट और पैसों की पहचान कराएं। उन्हें बताएं कि पैसा क्यों जरूरी है? बच्चों के साथ मनी गेम भी खेल सकते हैं
ताकि आपका बच्चा बोर न हो। अपने बच्चे को अपने साथ शॉपिंग के लिए ले जाएं। साथ ही कुछ कम कीमत वाली चीजों का पैसा भुगतान करने के लिए अपने बच्चे से कह सकते हैं। बच्चे को बताएं कि सारी चीजें जो आप
पहनते हो, आप खेलते हो, आप खाते हो, आप गाड़ी से इधर-उधर जाते हो, सबकुछ के लिए भुगतान करना पड़ता है।

-जब बच्चा 7-9 साल का हो जाए: 
जब आपका बच्चा थोड़ा और बड़ा और समझदार हो जाए तो आप पैसों के बारे में और ज्यादा जानकारी देना शुरू कर दें। 7-9 साल का होने पर अपने बच्चे को सेविंग्स के बारे में बताएं। बच्चे में बचत करने की आदत डालिए। उसे कम पैसों से संबंधित जिम्मेदारी दीजिए और उसे खुद से फैसले लेने दीजिए। उसके लिए छोटा-छोटा
लक्ष्य भी रख सकते हैं। बच्चे के लिए पिग्गी बैंक खरीदें जिसमें वो अपना बचा पैसा रख सके। बच्चों को गिफ्ट में जो पैसे मिलते हैं उसे रखने के लिए उसके लिए बैंक अकाउंट खुलवा दीजिए। अपने मासूम के लिए वीकली अलाउंस शुरू कर सकते हैं। बच्चे से संबंधित  चीजों मसलन, कैंडी, आइसक्रीम बगैरह खरीदने की जिम्मेदारी
आप अपने बच्चे पर ही छोड़ दें। अगर आपका बच्चा अपने अलाउंस को समयसीमा के पहले खत्म कर देता है, तो फिर उसे पैसा  न दें,वरना वित्तीय अनुशासन कभी नहीं सीख पाएगा।

-जब बच्चा 10-12 साल का हो जाए: 

जब आपका बच्चा थोड़ा और बड़ा हो जाए, तो उसकी वित्तीय जिम्मेदारी और बढ़ा दीजिए। 10-12 साल के होने पर अपने लाड़ले के लिए बैंक में अकाउंट खुलवा  दें। अब बैंक से जुड़े तमाम काम मसलन, पैसा डिपॉजिट करने या फिर चेक के इस्तेमाल करने के बारे में बताएं। आप उसे घरेलू काम मसलन कार की सफाई या फिर अपने छोटे भाई-बहनों की देखरेख करने पर पैसा दें। इससे उसे दो फायदें होंगे। एक तो उसमें आंत्रप्रन्योरशिप की आदत बढ़ेगी और दूसरा उन पैसों से आपका लाड़ला अपनी पसंद की चीज खरीद सकेगा। अपने लाड़ले की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बचे हुए पैसे को उसके अकाउंट में डिपॉजिट करने के लिए कह सकते हैं आप। अगर आपका लाड़ला अपनी पसंदीदा चीज खरीदने के लिए
अपने दोस्तों से कर्ज ले तो उसे लौटाने के लिए प्रेरित करें।

-जब लाड़ला 13-15 साल का हो जाए:  
जब आपका लाड़ला 13-15 साल का हो जाए तो उसे डेबिट और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल और उसके फायदे-नुकसान के बारे में बताएं। अपने लाड़ले को अपनी कमाई और अपने खर्च का हिसाब-किताब दिखाएं। उसे बजट बनाने के लिए सिखाएं। ऐसा करने पर उसे इस बात का पता चल जाएगा कि अपने दोस्तों या फिर अपने गैजेट्स पर कितना खर्च करना है ताकि भविष्य में कोई परेशानी न आए। उसे इस बात के बारे में भी बताएं कि अपनी पर्सनल जानकारी इंटरनेट पर शेयर नहीं करे।  यह सारा काम आप अपनी देख-रेख में उसे करने दे। उसपर आप नजर रखें।

-जब बच्चा 16-18 साल का हो जाए:
जब आपका बच्चा 16-18 साल का हो जाए तो उसे निवेश, कर्ज, टैक्स, इंश्योरेंस, म्युचुअल फंड बगैरह की जानकारी दें। पैसे के लिए पार्ट टाइम जॉब करने के लिए आप अपने लाड़ले से कह सकते हैं। उससे घर का बजट बनाने के लिए कहें। कहते  हैं कि “Actions always speak louder than words”.यानी आपका लाड़ला आपको देखकर बेहतर तरीके से पैसों का हिसाब-किताब रखना सीख सकता है।

शायद, रत्नेश को अगर बचपन से इन चीजों के बारे में बताया गया होता, तो आज उसके सामने इस तरह की समस्या नहीं आती। आप भी अगर चाहते हैं कि जिंदगी की राहों में आपका लाड़ला बिना किसी वित्तीय परेशानी के आगे बढ़ता रहे तो उसे बचपन से पैसों का हिसाब-किताब रखना सिखाएं।

18 ने दी दस्तक, शुरू कर दें बचत, कैसे, पढ़ने के लिए क्लिक करें 
 http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/05/18.html

फाइनेंशियल सफर को सुहाना बनाता है 'मनी मित्र', कैसे जानने के लिए पढ़ें-
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/05/blog-post_23.html

कोई टिप्पणी नहीं