ग्लोबल मार्केट के लिए 17 सितंबर क्यों है अहम

अमेरिका में आई अगस्त की नॉन फार्म पेरोल्स रिपोर्ट ने दुनियाभर के बाजारों के लिए तनाव पैदा कर दिया है। जानकारों के मुताबिक, इस रिपोर्ट ने अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को ब्याज दर बढ़ाने का एक हथियार दे दिया है। इस महीने की 16,17 तारीख को फेडरल रिजर्व बैठक करने वाला है। तो क्या है इस रिपोर्ट में और बाजार को ब्याज बढ़ने का डर क्यों सता रहा है?

क्या है रिपोर्ट में: 
अगस्त नॉन फार्म पेरोल्स रिपोर्ट के मुताबिक, 1,73,000 नौकरियां का निर्माण हुआ जबकि अनुमान 2,22,000 का था। वहीं बेरोजगारी दर उम्मीद से से ज्यादा कम होकर 5.1% (अनुमान 5.2% का था) पर आई, जबकि एवरेज आवरली वेजेज में उम्मीद से ज्यादा 0.3% की बढ़ोतरी हुई। बेरोजगारी दर में कमी और वेजेज में बढ़ोतरी के बाद जानकार  संभावना जता रहे हैं कि इस महीने की 16-17 तारीख को फेडरल रिजर्व की होने वाली बैठक में ब्याज दर में बढ़ोतरी हो सकती है।

हालांकि, कुछ जानकार दिसंबर में ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना जता रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने तो ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए फेडरल रिजर्व को फिलहाल ब्याज दर नहीं बढ़ाने की सलाह दी है। IMF यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने तो फेडरल रिजर्व से अगले साल ब्याज बढ़ाने की अपील की है।

अगर ब्याज बढ़ा तो, क्या होगा:
-अमेरिकी डॉलर और मजबूत होगा, शेयर मार्केट से पैसा निकालकर निवेशक इसे बाजार से ज्यादा सुरक्षित
साधनों मसलन, सरकारी बॉण्ड में निवेश करेंगे यानी शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ेगी

- अमेरिकी डॉलर मजबूत होने से कमोडिटी एक्सपोर्ट करने वाले देशों मसलन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड,
ब्राजील और इंडोनेशिया पर और दबाव बढ़ेगा। इन देशों के करंसी मार्केट में बिकवाली बढ़ेगी

-एनर्जी, सोना, डेयरी, मेटल प्रोडक्ट की कीमतों में और कमी आएगी

((शुक्रवार को डाओ जोंस 272 अंक फिसला
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/272.html


((तो,18 सितंबर को रघुराम राजन घटाएंगे ब्याज ?


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