नहीं माने FII, शुक्रवार को भी गिरा बाजार, ये रही वजह

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हालांकि कह दिया कि मैट को लेकर FIIs/FPIs का मामला अब खत्म हो चुका है लेकिन शेयर बाजार में जारी गिरावट खत्म नहीं हो रही है।

हफ्ते के आखिरी कारोबारी शुक्रवार को यानी आज सेंसेक्स 563 अंक लुढ़ककर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 168 अंक फिसलकर 7 हजार 700 के अहम मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे बंद हुआ। एशियाई बाजारों की बात करें तो कल और आज चीन के शंघाई कंपोजिट में कामकाज बंद रहा, लेकिन जापान का सूचकांक निक्केई में भारी गिरावट देखी गई।

पिछले तीन हफ्तों में सेंसेक्स करीब 3000 अंक फिसल चुका है और जानकारों की मानें तो आगे भी ऐसी बिकवाली जारी रह सकती है। 11 अगस्त से, जब चीन ने अपनी करेंसी युआन का अवमूल्यन किया तब से लेकर अब तक सेंसेक्स जहां 2900 अंक गिरा है, वहीं निफ्टी इस साल मार्च के अपने ऑल टाइम हाई से 16% फिसल चुका है।

हाल की गिरावट की वजह: 

FII की बिकवाली नहीं थमी: FIIs/FPIs पर इस साल एक अप्रैल से पहले मैट लगे या ना लगे को लेकर हालांकि तस्वीर साफ हो चुकी है, लेकिन अब भी भारतीय बाजारों में FIIs/FPIs की बिकवाली जारी है। पिछले महीने उन्होंने रिकॉर्ड 17,248 करोड़ रुपए की बिकवाली की, तो इस महीने के शुरुआती दो दिनों में 2,205 करोड़ रुपए की बिकवाली।  हालांकि, दुनिया के दूसरे बाजारों में भी FIIs/FPIs बिकवाली कर रहे हैं, लेकिन भारत के संदर्भ में इसकी क्या है वजह।

1- अप्रैल-जून में खराब जीडीपी के आंकड़े: इस साल की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े उम्मीद से खराब रहे। भारत इस तिमाही में 7% की दर से विकास किया, लेकिन 7.4% ग्रोथ की उम्मीद थी। इससे पहले की तिमाही यानी जनवरी-मार्च में डीजीप ग्रोथ 7.5%, जबकि पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही में 6.7% थी। हर किसी को ग्रोथ में बढ़ोतरी का इंतजार है। हाल ही में जिम रोजर्स ने ये कहकर कि केवल उम्मीद के सहारे भारत में निवेश नहीं किया जा सकता, FIIs/FPIs का भारत में निवेश का रुख साफ कर दिया है।

2-ईटीएफ बिकवाली: ज्यादातर  FII इमर्जिंग मार्केट ईटीएफ में बिकवाली कर रहे हैं। हाल की बैरन्स रिपोर्ट के मुताबिक, 27 अगस्त से 2 सितंबर के बीच FII  ने इमर्जिंग मार्केट से 4.4 अरब डॉलर की रकम निकाली है जबकि अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में 11 अरब डॉलर की रकम निवेश की है। लगातार 8 हफ्तों से विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट से पैसा निकाल रहे हैं।

3-रुपया पर लगातार बना दबाव: भारतीय बाजार से FII/FPI की वजह से डॉलर के मुकाबले रुपए पर दबाव बना हुआ है। करेंसी की चाल FII/FPI के मुनाफे पर असर डालती है। फिलिप्स कैपिटल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, FII/FPI की बिकवाली से इस वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपया 6%, इस कैलेंडर साल में 5%, जबकि पिछले साल के मुकाबले 9% कमजोर हो चुका है।

4-अमेरिकी ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना: अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की संभावना में भी FII/FPI भारत समेत दूसरे इमर्जिग मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं। अमेरिका में ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीद FII/FPI उतार-चढ़ाव वाले बाजार के मुकाबले सरकारी बॉण्ड जैसे सुरक्षित साधनों में पैसा लगाना बेहतर समझ रहे हैं। कुछ जानकार इसी महीने अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने की संभावना जता रहे हैं जबकि कुछ जानकारों को इस साल दिसंबर से बढ़ने की उम्मीद है। इस महीने की 16-17 तारीख को फेडरल रिजर्व की बैठक है।

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