अगर 'सोशल स्कोर' हो जानदार, तो झटफट मिले उधार

फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब इनका इस्तेमाल दोस्तों से मिलाने, अपने विचारों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने या फिर अपने काम और कंपनी के विज्ञापन तक ही सीमित नहीं रहा। अभी हाल ही में खबर आई थी कि इनकम टैक्स विभाग करचोरों को पकड़ने के लिए उनके फेसबुक प्रोफाइल पर नजर रखेगा। अब खबर है कि बैंक या गैर-वित्तीय कंपनियां किसी भी आवेदक को लोन देते समय उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल का भी सहारा लेगी।

लोन देने के लिए आवेदक के क्रेडिट स्कोर का इस्तेमाल पहले से होता आ रहा है। अब कोशिश की जा रही है कि किसी आवेदक के सोशल स्कोर और क्रेडिट स्कोर में कोई अंतर ना हो, तभी लोन की मंजूरी दी जाए।
((क्रेडिट हेल्थ ठीक है,तो बेहतर है…
तो अगर आप सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और आपने बैंक या गैर-वित्तीय कंपनियों से लोन के लिए आवेदन किया है तो अपने सोशल मीडिया मसलन फेसबुक, लिंक्डइन, ट्विटर अकाउंट जरूर अपडेट कर लें।  
>'सोशल स्कोर' के मायने: किसी भी लोन आवेदक की उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल से मिली जानकारी के आधार पर थर्ड पार्टी उस लोन आवेदक का सोशल स्कोर तैयार करता है। लिंक्डइन से किसी शख्स के प्रोफेशनल इतिहास की जानकारी मिलती है जबकि फेसबुक और ट्विटर से उसके व्यक्तित्व की।

सोशल स्कोर से इस बात का पता लगाया जाएगा कि किसी लोन आवेदक द्वारा आवदेन में दी गई जानकारी उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल से मेल खाती है या नहीं। मसलन,किसी आवेदक के लिंक्डइन प्रोफाइल से उसकी कंपनी, उसके मौजूदा पद और उसकी नौकरी के बारे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

सोशल स्कोर तैयार करते समय इस बात पर भी नजर रखी जाती है कि आपके प्रोफाइल से कोई ऐसा शख्स तो नहीं जुड़ा है जो आपके स्कोर को खराब कर सकता है। अगर आपका सोशल मीडिया अकाउंट एक महीने या कम दिन का है, उसे भी संदेह की नजर से देखा जाता है कि कहीं उस अकाउंट को किसी खास लक्ष्य से तो नहीं तैयार किया गया है।

>सोशल स्कोर तैयार करने की प्रक्रिया:
-सोशल स्कोर तैयार करने की अलग-अलग प्रक्रिया है और इसे थर्ड पार्टी तैयार करती है।
-थर्ड पार्टी किसी लोन आवेदक के बारे में उसके सोशल मीडिया नेटवर्क से जानकारी जुटाती है।
-थर्ड पार्टी ये देखती है कि लोन आवेदक के दोस्त कौन-कौन हैं, उसके पोस्ट, पोस्ट की भाषा, पोस्ट
के संदेश और पोस्ट डालने के समय को भी आंका जाता है।
-थर्ड पार्टी द्वारा विकसित खास सॉफ्टवेयर के आधार पर आवेदक को सोशल नंबर दिए जाते हैं।
-अगर उस आवेदक के सोशल स्कोर और क्रेडिट स्कोर में तालमेल ना हो, लोन से वो वंचित भी
हो सकता है।

तो, लेना हो अगर लोन तो क्रेडिट स्कोर के साथ सोशल स्कोर को भी नजरअंदाज ना करें। अमेरिका में
लोन के लिए सोशल स्कोर का इस्तेमाल पहले से ही किया जा रहा है।
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