सस्ता लोन...इंतहा हो गई इंतजार की !

7 जून की क्रेडिट पॉलिसी बैठक ने लोन सस्ता होने का इंतजार कर रहे लोगों को मायूस किया है।  एक तो इस बैठक में रेपो रेट (जिस रेट पर बैंक रिजर्व बैंक से शॉर्ट टर्म फंड उधार लेते हैं) में कमी नहीं की गई।

साथ ही अब जानकार ये भी मान रहे हैं कि इस साल आगे अधिक से अधिक रेपो रेट में चौथाई परसेंट से अधिक की कटौती की उम्मीद नहीं है। यानी रेपो रेट  में कमी नहीं होगी तो बैंक भी बेस रेट में कमी नहीं होगी।

रेपो रेट में आगे कटौती की उम्मीद कम क्यों?
रेपो रेट में आगे कमी नहीं होने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि महंगाई दर एक बार फिर से बढ़ने लगी है
और 2016-17 के महंगाई लक्ष्य को 5% तक सीमित रखने में अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। रिजर्व बैंक ने खुद अपनी समीक्षा में इस पर चिंता जताई है। सातवें वेतन आयोग के लागू होने, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कमोडिटीज के दाम में बढ़ोतरी के  संकेत और पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी के रुझान को महंगाई बढ़ाने की वजह मानी
जा रही है।
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इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कटौती का फायदा बैंकों द्वारा नहीं दिया जाना भी एक कारण माना
जा रहा है। जनवरी 2015 से जबसे रिजर्व बैंक ने प्रमुख दरों में कटौती का रुख अपनाया है बैंकों ने शायद ही रिजर्व बैंक का साथ दिया है। पिछले साल जनवरी से लेकर इस साल अप्रैल की बैठक तक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में डेढ़ परसेंट की कमी करते हुए इस पांच साल के निचले स्तर 6.50%  तक ले आया है लेकिन वहीं बैंकों ने बेस रेट (जिस रेट पर बैंक ग्राहकों के लोन देते हैं) में महज 0.7 % यानि रिजर्व बैंक के मुकाबले आधी ही कटौती की है। हालांकि रिजर्व बैंक के मुताबिक, बैंकों ने बेस रेट 0.95 % घटाए हैं। सबसे कम बेस रेट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी बैंक का है जो कि 9.3% सालाना है। यानी अगर आगे रिजर्व बैंक रेपो रेट चौथाई परसेंट तक घटाता भी है तो बैंक अभी तक तो पहले रेपो रेट में जो कटौती हो चुकी है उसी का फायदा अभी लोन ग्राहकों को नहीं दे पाए हैं।
इस साल अप्रैल से लोन की दर तय करने के नए नियम MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स) लागू होने के बाद लोन 10-15 बेसिस प्वाइंट सस्ते हुए हैं लेकिन मौजूदा ग्राहक जो कि एक अप्रैल से पहले लोन ले रखे हैं उनको तो कोई फायदा होने वाला नहीं है। उनसे बेस रेट के आधार पर लोन की किश्त (EMI) वसूल की जा रही है।
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इस साल अप्रैल पॉलिसी बैठक में लिक्विडिटी के लिए नियम नरम किए जाने के बाद ओवरनाइट रेट्स और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट्स (CDs), कमर्शियल पेपर्स (CPs)  रेट्स, एमसीएलआर रेट्स में कुछ हद तक कमी आई है। कई बैंकों के बेंचमार्क एमसीएलआर उनके मौजूदा बेस रेट से 10-20 बेसिस प्वाइंट कम है।
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इस साल अप्रैल बैठक में रेपो रेट में की गई 0.25% की कटौती के बाद बहुत कम बैंक ही अपने बेस रेट घटाए हैं। यानी सस्ते लोन का इंतजार कर रहे लोगों के लिए ये कहना मजबूरी बन गई है कि इंतहा हो गई इंतजार की...।
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