आम बजट 2017-18: इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा, जानें टैक्स बचाने के लिए आप कहां-कहां निवेश करें

आम बजट की जब भी बात आती है तो आम लोगों और नौकरीपेशा सबसे पहले टैक्स खासकर इनकम टैक्स से जुड़ी बातों के बारे में जानना चाहते हैं। मसलन,इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव हुआ या नहीं, टैक्स की दरों में कोई फेर-बदल हुआ कि नहीं, टैक्स छूट को लेकर प्रावधान में क्या कोई बदलाव हुआ है या नहीं, जैसे सवाल उनको परेशान करते रहते हैं, जब तक कि वो इन सबके बारे में पूरी तसल्ली से जानकारी ना ले लें। तो, हम आपके पसंदीदा ब्लॉग में इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं...

> आम बजट 2017-18 के मुताबिक, 3.5 लाख रुपए सालाना इनकम तक 2,500 रुपए छूट के साथ-साथ इनकम टैक्स रेट (3% एजुकेशन सेस, 50 लाख  से एक करोड़ रुपए तक की सालाना आमदनी पर 10% (इसी बजट से लागू) और एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी पर 15% सरचार्ज समेत): 

आमदनी                                      टैक्स (%)
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2.5 लाख रुपए तक                      टैक्स नहीं 
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2.5 लाख-5.00 लाख रु.                 5.15
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5.00 लाख-10.00 लाख रु.             20.60
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10 लाख-50 लाख   रु.                   30.09
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50.00 लाख-1 करोड़  रु.                 33.99
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1 करोड़ रु. और इससे अधिक           35.54
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>पिछला आम बजट यानि आम बजट 2016-17 के मुताबिक, 3.5 लाख रुपए सालाना इनकम पर 5,000 रुपए की छूट के साथ-साथ इनकम टैक्स रेट (3% एजुकेशन सेस और एक करोड़ रुपए से अधिक की सालाना आमदनी पर 15% सरचार्ज समेत): 
आमदनी                                      टैक्स (%)
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2.5 लाख रुपए तक                      टैक्स नहीं 
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2.5 लाख-5.00 लाख रु.                 10.30
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5.00 लाख-10.00 लाख रु.             20.60
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10.00 लाख-1 करोड़ रु.                30.90
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1 करोड़ रु. और इससे अधिक          35.54
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आम बजट 2017-18 के प्रावधानों के मुताबिक, अपनी सैलरी या फिर अपनी कमाई के हिसाब से अब आपको कितना कर देना होगा, जानिए....
> सैलरी सालाना          पहले टैक्स              अब टैक्स                सालाना बचत
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₹3 लाख   तक            ₹0                                   ₹0                                ₹0
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₹4 लाख तक             ₹10,000                       ₹7,500                          ₹2,500
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₹5 लाख तक            ₹20,000                       ₹12,500                          ₹7,500
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₹6 लाख तक            ₹45,000                      ₹32,500                             ₹12,500
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₹7 लाख तक            ₹65,000                          ₹52,500                          ₹12,500
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₹8 लाख तक            ₹85,000                         ₹72,500                           ₹12,500
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₹9 लाख तक            ₹1,05,000                    ₹92,500                              ₹12,500
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₹10 लाख तक          ₹1,25,000                   ₹1,12,500                             ₹12,500
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नोट- टैक्स देनदारी बिना किसी कर बचत योजना में निवेश के 
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>करदाताओं या टैक्सपेयर्स के लिए बजट के मायने:
-Positive: 
*2.5-5 लाख रुपए सालाना इनकम पर टैक्स की दर 10% से घटाकर 5%
*5 लाख रुपए तक करयोग्य इनकम वालों के लिए एक पन्ने का आईटी रिटर्न फॉर्म 
*5 लाख रुपए तक करयोग्य इनकम वालों की पहली बार आईटी रिटर्न भरने पर जांच नहीं 
*एनपीएस यानी नेशनल पेंशन सिस्टम में सालाना डेढ़ लाख तक निवेश करने वाले सेल्फ एम्पलॉयड के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ी, पहले ग्रॉस टोटल इनकम का 10% छूट मिलता था, जिसे बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। बशर्ते कि एनपीएस में निवेश तय सीमा के भीतर हो। इनकम टैक्स की धारा 80 सी के तहत एनपीएस में सालाना डेढ़ लाख रुपए तक के निवेश पर ही छूट है।   

-Negative:
*3.5 लाख रुपए सालाना इनकम वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए टैक्स छूट 5,000 रुपए से  घटाकर 2,500 रुपए की गई 
*प्रॉपर्टी में लोन लेकर निवेश करने पर पहले उसकी ईएमआई के ब्याज पर छूट की सीमा नहीं थी, जितना
ब्याज देना होता था, उस पूरे पर टैक्स छूट मिलती थी, लेकिन अब 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर ही (प्रॉपर्टी चाहे दूसरी या पहली) तक छूट मिलेगी। यह प्रॉपर्टी बाजार के लिए भी निगेटिव। 
*50 लाख से एक करोड़ सालाना इनकम पर 10% सरचार्ज 
*समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने वाले करदाताओं को अब एसेसमेंट ईयर 2018-19 से  10,000 रुपये का जुर्माना अदा करना होगा… हालांकि यदि करदाता की वार्षिक आय पांच लाख  रुपये से कम है, तो जुर्माने की रकम 1,000 रुपये रहेग
*चैरिटेबल ट्रस्ट को कैश में चंदा देने पर कर छूट 10 हजार से घटाकर 2 हजार रुपए
*5…राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम के तहत किए गए निवेश पर आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 से 
किसी भी तरह की कटौती की इजाज़त नहीं होगी… यह बचत योजना वर्ष 2012-13 के आम बजट में घोषित की गई  थी, और यह खासतौर से उन व्यक्तिगत निवेशकों के लिए तैयार की गई थी
*इनकम टैक्स अधिकारी अब 10 साल तक के मामलों को दोबारा खोल सकते हैं, यदि तलाशी में 50 लाख रुपये से अधिक की अघोषित आय तथा संपत्ति की जानकारी मिलती है… मौजूदा नियमों के तहत टैक्स अधिकारी करदाता के सिर्फ छह साल पहले तक के खातों की जांच कर सकते हैं… इनकम टैक्स एक्ट में किया गया यह संशोधन 1 अप्रैल, 2017 से लागू होगा, और इस नियम के मुताबिक अब टैक्स अधिकारी किसी भी करदाता की वर्ष 2007 तक के खातों की जांच कर सकेंगे
*अब जायदाद की बिक्री से होने वाले लाभ पर कम टैक्स दोना पड़ेगा… लॉन्ग-टर्म गेन पाने के लिए योग्य होने की खातिर किसी जायदाद को रखने (होल्डिंग पीरियड) की अवधि तीन साल से घटाकर दो साल कर दी गई है… मौजूदा कर-नियमों के मुताबिक यदि कोई संपत्ति खरीदे जाने के तीन साल के भीतर बेच दी जाती है, तो सौदे में हुए लाभ को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन माना जाता है, और उस पर उसी स्लैब के तहत कर वसूला जाता है, जिस स्लैब में विक्रेता आता है
*अब व्यक्तिगत करदाताओं को 50,000 रुपये मासिक से ज़्यादा बड़ी किराये की रकम पर 5 प्रतिशत टीडीएस काटना होगा… टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से सुनिश्चित हो सकेगा कि जो लोग किराये से बड़ी रकमें कमा रहे हैं, वे टैक्स के दायरे में आएं… यह नियम 1 जून, 2017 से लागू होगा…
*नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से आंशिक निकासी पर टैक्स नहीं लगेगा… प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, कोई भी एनपीएस सब्सक्राइबर रिटायरमेंट से पहले ही अपने कुल अंशदान का 25 प्रतिशत एमरजेंसी की स्थिति में निकाल सकता है… याद रखें कि रिटायरमेंट पर कुल अंशदान की 40 प्रतिशत निकासी करमुक्त है…
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>कारोबारी या बिजनेसमैन के लिए बजट के मायने:
-सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) कंपनियों को अधिक व्यवहार्य बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये तक का वार्षिक कारोबार करने वाली छोटी कंपनियों के लिए आयकर घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है.
- सरकार ने न्‍यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) का उपयोग 10 वर्ष की बजाय 15 वर्ष की अवधि तक करने की अनुमति दी. बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए अनुमत प्रावधान को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया गया है. 
-एलएनजी पर मूल सीमा शुल्‍क पांच प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत किया गया है.
-सरकार ने पिछले साल कुछ निश्चित शर्तों पर स्‍टार्ट अप्‍स को भी आयकर में रियायत दी थी. ऐसे स्‍टार्ट अप्‍स के संबंध में हानियों को बाद के वर्षों के लेखा-जोखा में समाहित करने के लिए मताधिकार के 51 प्रतिशत की निरंतर शेयरधारिता बनाये रखने की शर्त में इस शर्त के अधीन ढील दी गई है कि मूल प्रोमोटर/प्रोमोटरों की शेयरधारिता जारी रहेगी. इसके अलावा स्‍टार्ट अप्‍स को 5 में से 3 वर्षों के लिए लाभ से जुड़ी कटौती की रियायत को बदलकर 7 में से 3 वर्ष किया जा रहा है.

-बैंकिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनर्जक परिसंपत्तियों के लिए अनुमत प्रावधान को  7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया है. इससे बैंकों की देनदारी कम होगी. उन्‍होंने सभी अनुसूचित बैंकों के अनुसार सभी गैर-अनुसूचित सहकारी बैंकों के एनपीए खातों के संबंध में एक्रूअल आधार की बजाय वास्‍तविक प्राप्ति पर प्राप्‍त होने वाले ब्‍याज पर कर लगाने का प्रस्‍ताव किया गया है. इससे ब्‍याज आय प्राप्‍त न होने पर भी कर भुगतान करने का कष्‍ट समाप्‍त होगा.

-छोटो करदाताओं के लिए जिनकी आय किसी बिजनेस ये पेशे से होती है के लिए अब बहुत ही आसान एक पेज का टैक्स रिटर्न फॉर्म उपलब्ध होगा।
-आयकर की धारा 143 के अंतर्गत पहली बार टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं की स्क्रूटनी नहीं की जाएगी।
-मैट के दायरे में आने वाले छोटे व्यापारी अब 15 साल के अपने घाटे को कैरी फॉवर्ड कर सकेंगे, पहले यह सीमा 10 साल थी।
-करदाताओं के पास अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में छूट प्राप्त करने के ज्यादा विकल्प होंगे, ऐसा वो मान्य बॉन्ड में निवेश कर कर सकेंगे। आयकर की धारा 54EC के अंतर्गत 50 लाख तक का (u/s) लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
-कॉल सेंटर का कारोबार करने वाले व्यक्ति की तरफ से किए जाने वाले टीडीएस भुगतान की दर को घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह दर 10 फीसदी थी।
-2 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले छोटे बिजनेसमैन की ओर से डिजिटल माध्यम (चेक, डीडी या बैंक के माध्यम से ईसीएस) से किए जाने वाले प्रकल्पित कराधान की दर (Rate of presumptive taxation) को 8 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
-पेशेवरों के लिए मार्च तक एक किश्त में अग्रिम कर का भुगतान करना आवश्यक होगा। अभी तक ऐसे लोग तीन किश्तों में भुगतान करते हैं।
-1 अप्रैल 1981 से लेकर 1 अप्रैल 2001 तक प्रॉपर्टी शिफ्टर की काउंटिंग कास्ट का बेस रेट निश्चित रूप से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को कम कर देगा, जिससे की टैक्स देनदारी भी कम हो जाएगी
-किसी भी बिजनेस या पेशे से आय अर्जित न करने वाले छोटे करदाताओं के लिए अधिक सरल और एक पेज का इनकम टैक्‍स रिटर्न फॉर्म पेश किया गया है।

> 3 लाख रुपए तक आय कर मुक्त कैसे:
 वैसे तो 2.5 लाख रुपए तक सालाना आय पर कर नहीं देना है लेकिन 2.5-5 लाख रुपए आयकर के दायरे में आने वालों को 2,500 रुपए अतिरिक्त कर छूट मिलेगी, जो कि पहले 5 हजार रुपए थी। अगर 2,500 रुपए और कर छूट मिल रही है और इस स्लैब में आने वालों पर कर की दरें 5% कर दी गई है जो कि पहले 10% थी, तो इसका मतलब हुआ कि 2.5 लाख के अलावा और 50 हजार (50,000X5/100=2,500 रु.) यानी कुल 3 लाख 
रुपए तक की सालाना करमुक्त है। 

>4.5 लाख रुपए तक सालाना आय पर ऐसे बचेगा आयकर :
-2,500   रुपए अतिरिक्त कर छूट के साथ कर 3 लाख रुपए सालाना इनकम कर मुक्त 
-आयकर की धारा 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपए सालाना निवेश करमुक्त यानी 3 लाख +1.5 लाख= 4.5 लाख रुपए की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स 

>धारा 80 सी के तहत आने वाले निवेश साधन:
-पीपीएफ: पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) में पैसे डालकर आप अपना भविष्य सुरक्षित करने के साथ ही टैक्स भी बचा सकते हैं. पीपीएफ में किया गया निवेश टैक्स फ्री है साथ ही इस पर मिलने वाला ब्याज भी  टैक्स फ्री है. साथ ही मैच्योरिटी के समय मिलने वाली राशि भी टैक्स फ्री होती है. पीपीएफ में 15 साल का लॉक इन  पीरियड होता है लेकिन पीपीएफ में निवेश की गई राशि का 50 फीसदी हिस्सा आप 7 साल बाद निकाल सकते हैं.
-सुकन्या समृद्धि योजना (सिर्फ दो बेटियों तक ही सुविधा सीमित): मोदी सरकार ने ख़ासतौर से बेटियों के लिए एक स्कीम शुरू की थी जिसके जरिए आप बेटी का भविष्य सुरक्षित करने के साथ ही टैक्स भी बचा सकते हैं. बैंक या पोस्ट ऑफिस में सुकन्या समृद्धि अकाउंट खुलवाकर हर साल कम से कम 1000 और ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये तक बचा सकते हैं. इस पर मिलने वाले ब्याज़ की समीक्षा होती रहती है। बेटी के 21 साल के होने पर ही ये पैसे निकाल सकते हैं. इस कोष में डाली गई रकम पर भी आपको टैक्स बेनेफिट मिलता है.
-जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान
-पेंशन योजना जैसे एनपीएस
-म्युचुअल फंड के इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश
-राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी-नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट) में निवेश
-टैक्स सेविंग बैंक एफडी (कर बचाने वाले मीयादी जमा बैंकों द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाता है। ब्याज भी कर योग्य होते हैं।)
-आवासीय ऋणों के मूलधन अदायगी के लिए भुगतान. इसके अलावा किसी भी पंजीकरण शुल्क या स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान.
-बच्चों के लिए किसी भी स्कूल या कॉलेज या विश्वविद्यालय या इसी तरह की संस्था को ट्यूशन फीस के रूप में किया गया भुगतान. (केवल 2 बच्चों के लिए) या विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग शुल्क के लिए.
-डाकघर निवेश

> और कहां-कहां निवेश पर छूट: 
-धारा 80CCF: इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड में निवेश
-धारा 80 डी: 8. मेडिकल इंश्योरेंसः इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत 25,000 रुपये तक का मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम टैक्स फ्री है. यदि आपने अपने माता-पिता का भी मेडिक्लेम किया है और उनकी उम्र 60 साल से ज़्यादा है, तो 30,000 रुपये तक की प्रीमियम राशि करमुक्त होगी यानी साल में आप 55 हज़ार टैक्स बचा सकते हैं. धारा 80 डी- 15,000 रुपये का मेडिकल इन्श्योरेंन्स खुद के लिए, पति या पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए कटेगा और 20,000 रुपये मेडिकल इन्श्योरेंन्स अपने 60 वर्ष से ऊपर माता-पिता के लिए.

-आवास लोन के ब्याज पर (जब हम ईएमआई भरते हैं तो उसमें मूलधन के अलावा ब्याज भी जुड़ा रहता है। आपकी ईएमआई में  ब्याज का कितना हिस्सा है, इसे आप अपने बैंक से बात करके पता कर सकते हैं।) ख़ुद की प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए होम लोन पर दिया गया 2 लाख तक का ब्याज टैक्स फ्री रहेगा. यदि पति-पत्नी दोनों वर्किंग हैं, तो दोनों के नाम पर लोन होने से दोनों को टैक्स बेनिफिट मिलेगा. तो किराया देने से बेहतर है कि खुद का घर खरीदें और ईएमआई चुकाने पर टैक्स बचाएं. होम लोन के लिए अदा किए गए ब्याज़ पर सालाना 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट है.

-डोनेशन देने पर भी आप छूट के हकदार होते हैं। लेकिन इसके तहत लाभ पाने के लिए कुछ शर्तें हैं। छूट की सीमा इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस संस्थान को डोनेशन दिया है। लेकिन अगर आप 2000 रुपये से ज्यादा डोनेशन नकद देते हैं तो आपको छूट नहीं मिलेगी।
- 80 सीसीडी के तहत एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) के रूप में 50,000 रुपये का निवेश टैक्स फ्री है. सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख टैक्स बचाने के साथ ही आप एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) में सालाना 50,000 रुपये तक निवेश करके टैक्स छूट का फ़ायदा उठा सकते हैं. 2015 के बजट में सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80 सीसीडी के तहत सालाना 50,000 रुपये एनपीएस में निवेश को करमुक्त कर दिया. तो इस स्कीम का फायदा उठाएं और पैसा बचाने के साथ टैक्स भी बचाएं.
-यदि आप 80सी के तहत निवेश नहीं कर पाए हैं तो हाउस रेंट अलाउंस यानी एचआरए के जरिए भी टैक्स सेविंग कर सकते हैं. किराए के मकान में रहते  हैं, तो रेंट स्लिप दिखाकर एक निश्‍चित सीमा तक टैक्स में छूट का फायदा उठा सकते हैं.

 उपरोक्त निवेश साधनों का इस्तेमाल एक व्यक्ति को कर के रूप में धन का भुगतान करने से बचाता है यदि वह कर दायरे में आता है, इसे एक निवेश-लाभ के अवसर के रूप में अधिक देखा जाना चाहिए। व्यक्ति को तब भी आयकर दाखिल करना चाहिए, जब वह कोई कर नहीं दे रहा है। ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) और एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन योजना) को छोड़कर, 80C के तहत अन्य योजनाएं आम तौर पर एक अपेक्षाकृत जोखिम मुक्त निवेश और लाभ की गारंटी प्रदान करती हैं।

-लीव ट्रेवल अलाउंसः यदि कंपनी आपको ट्रैवलिंग अलाउंस देती है, तो 19,200 रुपये तक किए गए खर्च पर टैक्स नहीं लगेगा. लीव ट्रेवल अलाउंस के तहत एक सीमा के भीतर घरेलू यात्राओं में सेक्शन 10(5) के अंतर्गत छूट मिलती है.

>अगर 2017-18 में आसानी से कुल कर बचत की बात करें, तो 3 लाख + 1.50 लाख (80 सी वाला निवेश साधन) + 50 हजार (एनपीएस पर अतिरिक्त 50 हजार) + 55 हजार (मेडिकल इंश्योरेंस पर) + 2 लाख (होम लोन के ब्याज पर) + 2,000 (डोनेशन देने पर) = 7,57,000 रुपए यानी सालाना इनकम पर आप टैक्स बचा सकते हैं। 

((आम बजट 2017-18: आपको कितना इनकम टैक्स देना होगा, जानिए...
((आम बजट 2017-18: अब 2.5-5 लाख की सालाना करयोग्य आमदनी पर 10% के बजाय 5% टैक्स देना पड़ेगा
((आम बजट: 2017-18- जानिए किस सेक्टर के लिए कितनी राशि का आवंटन किया गया
((आम बजट 2017-18: कारोबार को सुगम बनाने के लिए कई घोषणाएं
((आम बजट 2016-17 को ग्राफिक्स के जरिए जानें 
((आम बजट 2016-17: आपके पैसों से जुड़े प्रस्ताव और उनके संभावित असर 
((वित्त वर्ष 2016-17 के वित्तीय सफर को कैसे बनाएं शानदार 
((आम बजट 2016-17: इनकम टैक्‍स स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं, लेकिन छोटे करदाताओं, किराएदारों को बड़ी राहत
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((कैसे करें  ऑनलाइन IT रिटर्न फाइल, जानें beyourmoneymanager पर
((आयकर (इनकम टैक्स) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
(फिशिंग (जालसाजी) क्या है, कैसे होते हैं इसके नमूने, इससे बचाव के उपाय
((इनकम टैक्स का नोटिस मिला है, क्या करूं ? 
((टैक्स फ्री बॉन्ड, एफडी, पीपीएफ में बेहतर कौन ? 
((सुकन्या समृद्धि योजना (SSY),PPF या फिर टैक्स सेविंग FD !
((NPS और PF में से बेहतर कौन ?
((अबकी बार, अप्रैल से ही शुरू कर दें टैक्स प्लान 
((अप्रैल खत्म, टैक्स प्लानिंग की गाड़ी आगे बढ़ी या नहीं
((इनकम टैक्स कितना है चुकाना, मुश्किल नहीं गणना करना (वित्त वर्ष 2015-16 के लिए)
((आय के संयोजन (Clubbing of Income) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
(पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स-Capital Gains) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
((पैन (PAN) और टैन (TAN) में क्या अंतर है
((जाने कर मुक्त (टैक्स फ्री) आमदनी के बारे में
((गृह संपत्ति के तहत किस आमदनी पर कर लागू किया जाता है ?
(उपहार को लेकर कर के प्रावधानों के बारे में जानें
((टैक्सपेयर्स की आय में कौन-कौन सी कैटेगरी शामिल है
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5 टिप्‍पणियां

  1. Thanks sir to provide me information of Umang App Services 2018. you have provide use good information, thank you so much.

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी पत्नी के नाम मैंने NSC(National Saving Certificate) (राष्ट्रीय बचत पत्र ) ले रखा है।
    क्या मेरी income टैक्स में इस NSC को दिखाकर छूट ले सकता हूँ।

    या यह मेरे नाम होनी चाहिए ।
    मेरी पत्नी इनकम टैक्स में नही आती
    please clear

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सवाल पूछने के लिए धन्यवाद तिवारी जी, इस बारे में किसी से सीए से या फिर जिनके यहां से आप आईटी रिटर्न फाइल करते हैं, उनसे पूछें तो ज्यादा सही जानकारी मिल पाएगी।

      हटाएं
  3. Meri on line ki dukan hai aur Mai ek sal me50lakh ka tranjektion kar sakata hu kar sakata hu to Kya is per in com tax lagega

    जवाब देंहटाएं
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