आम बजट 2018-19: नौकरीपेशा लोगों को जख्म ज्यादा, मरहम नाममात्र का...!

मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट से नौकरीपेशा लोगों को काफी उम्मीदें थी। लेकिन, वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए इस बजट ने उनको मायूस किया है। वित्त मंत्री ने हालांकि कुछ मरहम लगाने की कोशिश की है, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है...जानिए वित्त मंत्री जी ने नौकरीपेशा लोगों को कहां मरहम लगाया कहां जख्म दिया....
आम बजट 2018 की खास बातें
वित्त मंत्री अरुण जेटली का पूरा बजट भाषण हिन्दी में पढ़ें 
खंड-1

(Source: pib.nic.in)
>मरहम:
-लोकसभा में लगातार पांचवां बजट पेश करते हुए जेटली ने वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को 40,000 रुपये की मानक कटौती देने की घोषणा की है। लेकिन इस कटौती के बाद इस समय वेतन के साथ मिलने वाले परिवहन और सामान्य चिकित्सा भत्ते पर कर की छूट खत्म हो जाएगी।

फिलहाल 19,200 रुपये तक के परिवहन भत्ते तथा 15,000 रुपये तक के चिकित्सा व्यय पर कोई कर नहीं लगता। इसके बदले 40,000 की मानक कटौती की छूट मिलेगी। स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर में वृद्धि को देखते हुए इसका मतलब है कि कर बचत के लिहाज से थोड़ा सा फायदा होगा। यानी साल में फायदा होगा (40,000-(19,200+15,000)= 5800 रुपए का। 

मानक कटौती से सरकार को अनुमानित 8,000 करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व का परित्याग करना पड़ेगा।
>जख्म:
-इनकम टैक्स छूट सीमा नहीं बढ़ाई गई। टैक्स स्लैब जस का तस रखा गया। माना जा रहा था कि सरकार सालाना टैक्स मुक्त  आय की सीमा बढ़ाकर तीन लाख कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।   अभी ढाई लाख रुपए तक की सालाना आय टैक्स मुक्त है, जबकि ढाई से पांच लाख रुपए की आय पर पांच प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है. इसके अलावा, इस वर्ग में 2,500 रुपए की अतिरिक्त छूट भी है, जिससे तीन लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है. वहीं, 10 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आमदनी पर अभी तक 30 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स लगता रहा है। 

-बजट में इनकम टैक्स पर 1प्रतिशत एजुकेशन और हायर एजुकेशन सेस बढ़ाया गया। इसे 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया. यानी अब नौकरीपेशा लोगों को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा। 

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