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FD में से समय से पहले पैसे निकालने पर नया नियम
एफडी से समय से पहले पैसा निकालने यानी प्रीमैच्योर विदड्रावल के नियम में बदलाव किए गए हैं। नया बदलाव 26 अक्टूबर से लागू हो गया है। तो, नियम में क्या बदलाव किया गया है और एफडी में पैसा लगाने वालों पर इसका क्या असर होगा, ये सब जानने के लिए इस एपिसोड को अंत तक देखिये-



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Rajanish Kant शनिवार, 28 अक्तूबर 2023
थोक जमा (बल्क डिपॉजिट- Bulk deposit) का दायरा बढ़ा, महीने के अंत में जारी होंगे दिशा-निर्देश-आरबीआई
विकासात्‍मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य
यह वक्तव्य विनियमन और पर्यवेक्षण को मजबूत करने; वित्तीय बाजारों के विस्तार और सघनता; भुगतान और निपटान प्रणाली; और, वित्तीय समावेशन के लिए विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है।
I. विनियमन और पर्यवेक्षण
1. रिज़ॉल्यूशन आवेदकों के लिए बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) ढांचे में छूट
मौजूदा ईसीबी ढांचे के तहत, ईसीबी की आय जिसे विदेशी मुद्रा या भारतीय रुपये (आईएनआर) में नामित किया जाता है,को घरेलू रूपए ऋण के पुनर्भुगतान के लिए उधार या पुनर्भुगतान के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं है। दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी), 2016 के तहत कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के अंतर्गत रिज़ॉल्यूशन आवेदक को मौजूदा उधारदाताओं को चुकाने के लिए विदेश में उधार लेना आकर्षक लग सकता है। उपरोक्त को देखते हुए, सीआईआरपी के अंतर्गत रिज़ॉल्यूशन आवेदकों के लिए ईसीबी ढाचे के अनुमोदित मार्ग के तहत एंड-युज़ प्रतिबंधों में छूट देने का प्रस्ताव है और उन्हें लक्ष्य कंपनी के रूपया ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए ईसीबी आय का उपयोग करने की अनुमति देना है। भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं / सहायक कंपनियों को छोड़कर ऐसे ईसीबी का लाभ मौजूदा ईसीबी ढांचे के अंतर्गत सभी पात्र ऋणदाताओं द्वारा उठाया जा सकता है। इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
2. थोक जमा पर निर्देशों की समीक्षा
वर्तमान निर्देशों के अनुसार, बैंकों को अपनी आवश्यकताओं और आस्ति- देयताएं प्रबंधन (एएलएम) अनुमानों के अनुसार थोक जमा पर ब्याज की अंतर दर की पेशकश करने का अधिकार भी दिया गया है। इस संबंध में निर्देश,की समीक्षा पिछली बार जनवरी 2013 में की गई,जिसमें "थोक जमा" को 1 करोड़ और उससे अधिक के एकल रुपए जमा के रूप में परिभाषित किया गया। जमा बढ़ाने में बैंकों की परिचालन स्वतंत्रता को बढ़ाने के उद्देश्य से, यह प्रस्तावित है
  1. 2 करोड़ और उससे अधिक के एकल रुपए जमा के रूप में थोक जमा की परिभाषा को संशोधित किया जाए; तथा,
  2. इसके बाद बैंक पर्यवेक्षी समीक्षा के लिए कोर बैंकिंग प्रणाली में अपने थोक जमा ब्याज दर कार्ड बनाए रखेंगे।
इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
3. शहरी सहकारी बैंकों के लिए एकछत्र(अंब्रैला) संगठन
पूंजीगत धन जुटाने के लिए संरचना, आकार, अवसर की कमी और प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के संचालन का सीमित क्षेत्र उनकी वित्तीय कमजोरियों को बढ़ाता है। यूसीबी क्षेत्र को वित्तीय रूप से लचीला बनाने और जमाकर्ताओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए एक दीर्घकालिक समाधान के रूप में एकछत्र संगठन (यूओ) का गठन करना है जैसा कि कई देशों में प्रचलित है। यूओ, अपने सदस्य यूसीबी को चलनिधि और पूंजी समर्थन प्रदान करने के अलावा, सदस्यों से साझा उपयोग के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) बुनियादी ढाँचा स्थापित करने की भी अपेक्षा करेगा ताकि वे अपेक्षाकृत कम लागत पर संचार प्रौद्योगिकी सूचना के क्षेत्र में अपनी सेवाओं को व्यापक बना सकें। यूओ फंड प्रबंधन और अन्य परामर्श सेवाओं को भी प्रदान कर सकता है।
यूसीबी क्षेत्र के लिए यूओ के गठन का विचार पहली बार वर्ष 2006 में यूसीबी की पूंजी के संवर्द्धन पर रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित कार्यदल (अध्यक्ष: श्री एन. एस. विश्वनाथन) द्वारा किया गया था। इसे 2009 में शहरी सहकारी बैंकों के एकछत्र संगठन पर कार्यदल और रिवाइवल फंड के गठन (अध्यक्ष: श्री वी एस दास) और वर्ष 2011 में नए शहरी सहकारी बैंकों के लाइसेंस पर विशेषज्ञ समिति (अध्यक्ष: श्री वाई एच मालेगाम) द्वारा अधिक विस्तार से जांचा गया था। वर्ष 2015 में यूसीबी (अध्यक्ष: श्री आर गांधी) पर उच्चाधिकार समिति द्वारा यूओ की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
रिज़र्व बैंक को नेशनल फेडरेशन ऑफ़ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज़ लिमिटेड (एनएएफसीयूबी) से यूओ स्थापित करने का प्रस्ताव मिला है। रिजर्व बैंक द्वारा यूओ प्रस्ताव की बारीकियों पर निर्णय जल्द ही लिया जाएगा।
4. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को रेटेड जोखिमों के लिए जोखिम भार
बासल III पूंजी विनियमावली पर मौजूदा दिशा-निर्देशों के तहत आस्ति फाइनेंस कंपनियों (एएफसी), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों – इंफ्रास्ट्रचर वित्त कंपनियां (एनबीएफसी-आईएफसी) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां – इंफ्रास्ट्रचर विकास फंड (एनबीएफसी-आईडीएफ) के अलावा रेटेड साथ ही अनरेटेड जमा स्वीकार न करनेवाली प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-एनडी-एसआई) पर बैंकों के एक्सपोजर / दावों को समान रूप से 100% पर जोखिम भारित करना होगा। सही रेटिंगवाली एनबीएफसी के लिए ऋण के प्रवाह को सुगम बनाने की दृष्टि से , अब यह निर्णय लिया गया है कि कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी) को छोड़कर सभी एनबीएफसी के लिए बैंकों का रेटेड एक्सपोजर प्रत्याशित रेटिंग एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई रेटिंग के अनुसार उसी तरीके से जोखिम-भारित किया जाएगा जैसा कि कॉरपोरेटो के मामले मे किया जाता है।सीआईसी के लिए एक्सपोजर 100% पर जोखिम भारित बना रहेगा। इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
5. एनबीएफसी श्रेणियों का सं‍गतिकरण
विशिष्ट क्षेत्र / आस्ति वर्गों से संबंधित एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियां पिछले कुछ समय के साथ विकसित हुई हैं।प्रत्येक एनबीएफसी श्रेणी के लिए लगाए गए विनियम भी कुछ भिन्न हैं। वर्तमान में, ऐसी बारह श्रेणियां हैं। छोटे कारोबार और निम्न आय वाले परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवाओं पर समिति (अध्यक्ष:डॉ.नचिकेत मोर) और आंतरिक समिति (अध्यक्ष: श्री जी.पद्मनाभन), जिन्होंने क्रमशः जनवरी 2014 और अप्रैल 2014 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, ने एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियों के सं‍गतिकरण की सिफारिश की थी। रिज़र्व बैंक इस तरह के सं‍गतिकरण के लिए प्रतिबद्ध है और एनबीएफसी क्षेत्र के लिए वर्तमान इकाई-आधारित विनियमन की जगह गतिविधि-आधारित विनियमन की ओर बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में पहले कदम के रूप में, नवंबर 2014 में जमा स्वीकृति विनियमों का सं‍गतिकरण किया गया था । इसके अलावा, ईसीबी मानदंडों के हाल के युक्तिकरण और उदारीकरण के साथ,एनबीएफसी की विभिन्न श्रेणियों के लिए लागू विभिन्न नियम सं‍गतिकृत हैं।
अब क्रेडिट इंटरमीडिएट, अर्थात, आस्ति फाइनेंस कंपनियों (एएफसी), ऋण कंपनियों और निवेश कंपनियों में लगी एनबीएफसी की प्रमुख श्रेणियों को एक ही श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। मौजूदा श्रेणियों का प्रस्तावित विलय करने से कई श्रेणियों से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं काफी हद तक कम हो जाएगी और यह एनबीएफसी को उनके परिचालन में अधिक से अधिक लचीलापन प्रदान करेगा। यह संख्या में 99% एनबीएफसी को कवर करेगा। इस संबंध में दिशानिर्देश फरवरी 2019 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
II. वित्तीय बाजार
6. निवासियों और गैर-निवासियों के लिए विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव सुविधाएं (विनियमन फेमा -25)
गैर-निवासियों और निवासियों द्वारा विदेशी मुद्रा जोखिम के हेज़िग के लिए मौजूदा सुविधाओं की समीक्षा क्रमशः फरवरी 2018 और अगस्त 2018 में मौद्रिक नीति वक्तव्यों में विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर विवरण में घोषित की गई थी। उक्त समीक्षाएं की गई।
समीक्षा के बाद, संशोधित दिशा-निर्देशों का एक डाफ्ट्र टिप्पणी प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में डाला जा रहा है। मसौदा निर्देश अन्य बातों के साथ, सभी उपयोगकर्ताओं के लिए एकल एकीकृत सुविधा में निवासियों और गैर-निवासियों के लिए सुविधाओं का विलय करने का, उपयोगकर्ताओं को अपनी पसंद के किसी भी उपकरण का उपयोग करके लचीले ढंग से हेज़ करने के लिए वैध अंतर्निहित जोखिम की अनुमति देने का, विदेशी मुद्रा जोखिम के लिए प्रत्याशित जोखिम को रोकने की क्षमता का परिचय देने का, और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव की पेशकश करने के लिए अधिकृत डीलरों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने का प्रस्ताव करते हैं । संशोधित दिशानिर्देशों पर डाफ्ट्र परिपत्र फरवरी 2019 के अंत तक जारी किया जाएगा।
7. ऑफशोर रुपी मार्केट पर कार्य बल
भारतीय रुपये में अपतटीय हित को देखते हुए, गैर-निवासियों को धीरे-धीरे घरेलू बाजार में अपनी हेजिंग आवश्यकताओं के लिए प्रोत्साहन देने के लिए हैं रिज़र्व बैंक के नीतिगत प्रयास जारी है । इसी समय, अपनी मुद्रा जोखिमों को हेज़ करने के लिए डेरिवेटिव बाजारों में निवासियों के एक्सेस में सुधार करने की आवश्यकता है । विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमिक उद्घाटन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए और प्रतिभागियों और विचारों की एक विस्तृत श्रृंखला से लाभ उठाने के लिए, ऑफशोर रुपी मार्केट पर कार्य बल स्थापित करने का प्रस्ताव है। कार्य बल ऑफशोर रुपी मार्केट से संबंधित मुद्दों की गहराई से जांच करेगा और उचित नीतिगत उपायों की सिफारिश करेगा जो रुपये के बाहरी मूल्य की स्थिरता को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के लिए भी कारक है। फरवरी 2019 के अंत तक कार्य बल की रचना और विचारार्थ विषय के बारे में अगला विवरण अलग से जारी किया जाएगा।
8. ब्याज दर डेरिवेटिव निर्देशों को युक्तिसंगत बनाना
रिज़र्व बैंक ने, समय-समय पर, विभिन्न ब्याज दर डेरिवेटिव उत्पादों जैसे कि ब्याज दर स्वैप (आईआरएस), फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट (एफआरए), ब्याज दर भविष्य (आईआरएफ), ब्याज दर विकल्प (आईआरओ) और मनी मार्केट फ्यूचर (एमएमएफ) से संबंधित विनियमनों को जारी किया था। डेरिवेटिव पर व्यापक दिशानिर्देश 2007 में उपयोगकर्ताओं और बाजार निर्माताओं की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के लिए जारी किए गए थे। हालांकि, ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप (आईओएस) को छोड़कर, इन डेरिवेटिव बाजारों में गतिविधि काफी सूक्ष्म और सीमित रही है । अन्य कारणों से, इसने भारतीय वित्तीय क्षेत्र में ब्याज दर डेरिवेटिव के सीमित उपयोग में योगदान दिया है। इनमें से कुछ विनियमों की समीक्षा लगभग दो दशकों (1999 के आईआरएस / एफआरए दिशानिर्देश) से भी नहीं की गई है। इसलिए, भारतीय अर्थव्यवस्था में ब्याज दर जोखिम के प्रबंधन के लिए एक संपन्न वातावरण को बढ़ावा देने के अंतिम उद्देश्य के साथ स्थिरता और पहुंच को आसान बनाने के लिए ब्याज दर डेरिवेटिव नियमों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव है। मार्च 2019 के अंत तक सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
9. वित्तीय बेंचमार्क का विनियमन
इसे रिजर्व बैंक द्वारा नियमित वित्तीय उत्पादों और बाजारों से संबंधित बेंचमार्क प्रक्रियाओं के अभिशासन में सुधार के लिए वित्तीय बेंचमार्क के लिए एक विनियामक ढांचा पेश करने के लिए 05 अक्टूबर 2018 की चौथी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य में प्रस्तावित किया गया था। सार्वजनिक परामर्श के लिए डाफ्ट्र दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं।
10. कॉरपोरेट ऋण में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा निवेश
अप्रैल 2018 में कॉर्पोरेट ऋण में किए गए एफपीआई निवेश की समीक्षा के एक हिस्से के रूप में, यह निर्धारित किया गया था कि किसी भी एफपीआई के पास अपने कॉरपोरेट बॉन्ड पोर्टफोलियो के 20 प्रतिशत से अधिक एकल कॉरपोरेट के लिए एक्सपोज़र नहीं होगा (कॉरपोरेट से संबंधित संस्थाओं के एक्सपोज़र सहित)।
एफपीआई को अपने पोर्टफोलियो को समायोजित करने के लिए मार्च 2019 तक अपने नए निवेश पर इस आवश्यकता से छूट दी गई थी। हालांकि यह प्रावधान एफपीआई को परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियो को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन आगे बाजार प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि एफपीआई को बाधित कर रही है। भारतीय कॉर्पोरेट ऋण बाजार तक एक्सेस के लिए निवेशकों के व्यापक स्पेक्ट्रम को प्रोत्साहित करने के लिए, अब इस प्रावधान को वापस लेने का प्रस्ताव है। इस आशय का एक परिपत्र फरवरी 2019 के मध्य तक जारी किया जाएगा ।
III. भुगतान और निपटान प्रणाली
11. भुगतान गेटवे सेवा प्रदाताओं और भुगतान एग्रीगेटर्स का विनियमन
रिजर्व बैंक ने नवंबर 2009 में भुगतान गेटवे प्रदाताओं और भुगतान एग्रीगेटर जैसे बिचौलियों के नोडल खातों के रखरखाव के बारे में निर्देश जारी किए थे। "भुगतान और निपटान प्रणाली - विजन 2018" दस्तावेज़ में, रिज़र्व बैंक ने संकेत दिया था कि ऐसी संस्थाओं की बढ़ती भूमिका और महत्व को देखते हुए, इन दिशानिर्देशों को संशोधित किया जाएगा। तदनुसार, रिजर्व बैंक भुगतान गेटवे सेवा प्रदाताओं और भुगतान एग्रीगेटर्स को विनियमित करने की आवश्यकता और व्यवहार्यता की जांच कर रहा है। हितधारकों के परामर्श के लिए इन संस्थाओं के भुगतान संबंधी गतिविधियों को कवर करने वाले व्यापक दिशानिर्देशों पर एक चर्चा पत्र पब्लिक डोमेन में प्रस्‍तुत किया जाएगा।
IV. वित्तीय समावेशन
12. कृषि ऋण की समीक्षा के लिए कार्य समूह
पिछले कुछ वर्षों में कृषि ऋण वृद्धि महत्वपूर्ण बनी रही है। इसके बावजूद, कृषि ऋण से संबंधित प्रश्‍न जैसे कि क्षेत्रीय असमानता, कवरेज की सीमा, आदि भी बने रहे हैं। पूंजी निर्माण के लिए दीर्घकालिक कृषि ऋण को अधिक गहरा करने का भी प्रश्‍न है। इन मुद्दों की जांच करने और व्यावहारिक समाधान और नीतिगत पहल करने के लिए, रिज़र्व बैंक द्वारा कृषि ऋण की समीक्षा के लिए एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्‍लयूजी) का गठन किया गया है।
13. संपार्श्विक मुक्त कृषि ऋण-सीमा का संवर्धन
वर्तमान में बैंकों को-1 लाख तक संपार्श्विक-मुक्त कृषि ऋण प्रदान करना अनिवार्य है। 1 लाख की यह सीमा वर्ष 2010 में तय की गई थी। तब से समग्र मुद्रास्फीति और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, संपार्श्विक-मुक्त कृषि ऋण की सीमा को  1 लाख से  ​​1.6 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इससे औपचारिक ऋण प्रणाली में छोटे और सीमांत किसानों के कवरेज में वृद्धि होगी। इस आशय का परिपत्र शीघ्र ही जारी किया जाएगा।


(सौ. आरबीआई)
बचत, निवेश संबंधी beyourmoneymanager के लेख


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Rajanish Kant गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019
स्टेट बैंक ₹1 करोड़ या उससे ज्यादा की FD पर अब ज्यादा ब्याज देगा

देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ने अपने बल्क डिपॉजिट यानी ₹1 करोड़ या उससे ज्यादा की फिक्स्ड डिपॉजिट कराने वाले ग्राहकों को खुशखबरी दी। बैंक ने बल्क डिपॉजिट पर ब्याज दर एक प्रतिशत बढ़ा दी है। बैंक अब शॉर्ट टर्म यानी 46-179 दिनों की बल्क डिपॉजिट पर 4.85 प्रतिशत, जबकि एक से 10 साल की बल्क डिपॉजिट पर 5.25 प्रतिशत ब्याज देगा। 

बैंक ने ठीक एक साल के बाद बल्क डिपॉजिट पर ब्याज दर की समीक्षा करते हुए इसमें एक प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। बैंक ने पिछले साल ठीक नवंबर में नोटबंदी के दौरान डिपॉजिट बढ़ने से बल्क डिपॉजिट पर ब्याज दर में 1.90 प्रतिशत की कटौती कर दी थी। आपको बता  दें कि 2015-16 की सितंबर तिमाही से एफडी पर ब्याज दरों में कमी का सिलसिला शुरू हुआ था। लेकिन, अब जानकारों का कहना है कि एफडी पर ब्याज दरों में कमी का सिलसिला शायद थमने का अनुमान है। एसबीआई से साल में करीब ₹70,000 करोड़ बल्क डिपॉजिट निकाला जाता है। 
इस साल सितंबर तक स्टेट बैंक में ₹26,23,180 करोड़ जमा हुए हैं जो कि सालाना आधार पर पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 10.2 प्रतिशत है। हालांकि, इस दौरान बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट महज 3 प्रतिशत बढ़कर ₹13, 92,980  करोड़ ही हुई है। 

Rajanish Kant गुरुवार, 30 नवंबर 2017