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झारखंड, बिहार का इक्विटी म्युचुअल फंड में जलवा, महाराष्ट्र, गुजरात भी पिछड़े #Mutual Fund #म्युचुअल फंड
जब भी आप म्युचुअल फंड स्कीम्स में पैसे लगाने जाएंगे, तो आपको कई कैटिगरी और सब-कैटिगरी की स्कीम मिलेगी। कैटिगरी में शामिल है- Equity, Debt, Hybrid, Solution Oriented और other स्कीम्स। फिर इनकी कई सब-कैटिगरी हैं। तो निवेशक को पैसा लगाना से पहले तय करना होता है कि किस स्कीम में पैसे लगाने हैं।  म्युचुअल फंड जोखिमवाला निवेश साधन है और हर स्कीम का अपना नफा-नुकसान है और अलग-अलग उद्देश्यों और समयावधि के लिए बना है।

घरेलू म्युचुअल फंड स्कीम की अगुआई करने वाली संस्था AMFI (Association of Mutual Funds in India) ने किन स्कीम में कितने पैसे और किन राज्यों से निवेश किए गए हैं, उसके संबंध में ताजा डेटा जारी किया है। इसके मुताबिक, इक्विटी म्युचुअल फंड में जितना निवेश किया गया है, उसमें सबसे ज्यादा निवेश करने वाले निवेशक झारखंड (74%) और दूसरे पायदान पर बिहार के निवेशक (73%) हैं ।

माना जा रहा है कि निवेशक लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों जैसे शादी-विवाह, बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए पैसे इकट्ठा जमा करने के इरादे से इक्विटी म्युचुअल फंड में पैसे लगा रहे हैं। जानकार लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड को बेहतर बताते हैं। डेटा के अनुसार  इक्विटी म्युचुअल फंड AUM  में नई दिल्ली का योगदान 41% जबकि महाराष्ट्र का योगदान 31% है।

साभार- www.moneycontrol.com
Average Assets Under Management (AAUM) of Indian Mutual Fund Industry for the month of June 2019 stood at ₹ 25,81,397 crore. 
Assets Under Management (AUM) as on June 30, 2019 stood at ₹24,25,040 crore.
The AUM of the Indian MF Industry has grown from ₹ 5.83 trillion as on 30th June, 2009 to ₹24.25 trillion as on 30th June, 2019, more than 4 fold increase in a span of 10 years.
The MF Industry’s AUM has grown from ₹ 9.75 trillion as on 30th June, 2014 to ₹24.25 trillion as on 30th June, 2019, about 2 ½ fold increase in a span of 5 years...
The Industry’s AUM had crossed the milestone of ₹10 Trillion (₹10 Lakh Crore) for the first time in May 2014 and in a short span of about three years, the AUM size had increased more than two folds and crossed ₹ 20 trillion (₹20 Lakh Crore) for the first time in August 2017. The Industry AUM stood at ₹24.25 Trillion (₹ 24.25 Lakh Crore) as on 30th June, 2019.
The total number of accounts (or folios as per mutual fund parlance) as on June 30, 2019 stood at 8.38 crore (83.8 million), while the number of folios under Equity, Hybrid and Solution Oriented Schemes, wherein the maximum investment is from retail segment stood at 7.56 crore (75.6 million).  This is 61st consecutive month witnessing rise in the no. of folios.
Indian Mutual Funds have currently about 2.74 crore (27.4 million) SIP accounts through which investors regularly invest in Indian Mutual Fund schemes.
Systematic Investment Plan or SIP as it is commonly known, is an investment plan (methodology) offered by Mutual Funds wherein one could invest a fixed amount in a mutual fund Scheme periodically at fixed intervals - say once a month instead of making a lump-sum investment. The SIP instalment amount could be as small as ₹ 500 per month. SIP is similar to a recurring deposit where you deposit a small /fixed amount every month.
SIP is a very convenient method of investing in mutual funds through standing instructions to debit your bank account every month, without the hassle of having to write out a cheque each time.
SIP has been gaining popularity among Indian MF investors, as it helps in Rupee Cost Averaging and also in investing in a disciplined manner without worrying about market volatility and timing the market.
AMFI data shows that the MF industry had added, on an average, 9.32 lacs SIP accounts each month during the FY 2019-20, with an average SIP size of about ₹3,000 per SIP account.             
Month-wise amount collected from FY 2016-17 onwards are mentioned below :

MonthSIP Contribution  core
FY 2019-20FY 2018-19FY 2017-18FY 2016-17
Total during FY24,543
92,693
67,19043,921
March  8,0557,1194,335
February   8,095 6,4254,050
January  8,0646,6444,095
December   8,0226,2223,973
November  7,9855,8933,884
October    7,985   5,6213,434
September    7,727   5,5163,698
August   7,658   5,2063,497
July 7,5544,9473,334
Jun8,1227,5544,7443,310
May8,1837,3044,5843,189
April8,2386,6904,2693,122



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Rajanish Kant मंगलवार, 23 जुलाई 2019
एक करोड़ युवाओं को 2020 तक हुनरमंद बनाने का लक्ष्य-नीतीश कुमार
पटना, 20 अप्रैल 2018:-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2020 तक एक करोड़ युवा को हुनरमंद बनाने का लक्ष्य तय किया है। मुख्यमंत्री ने आज पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में राज्य स्तरीय कौशल प्रतियोगिता कार्यक्रम के उदघाट्न के मौके पर इसकी घोषणा की। 

इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले मैं श्रम संसाधन विभाग को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि इन्होंने इतने शानदार तरीके से प्रतियोगिता कार्यक्रम का आयोजन किया है, इसमें इतनी रुचि दिखायी है। इतने युवाओं की भागीदारी और उनमें इतना उत्साह प्रशंसनीय है। मुझे उम्मीद है कि इसी प्रकार से एसे कामों को आगे बढ़ाते रहिएगा। इस प्रतियोगिता में कामयाब होने वाले और हिस्सा लेने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा। हमारे जो युवा इस प्रतियोगिता में सफल होकर क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं विष्वस्तर पर भाग लेंगे उन्हें मैं शुभकामना देता हूं कि उसमें वो कामयाब हों। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जबसे हमारी सरकार आयी है उसके बाद से बिहार में कौशल विकास के लिए हमने काम शुरू किया। इसके लिए तंत्र को काफी विकसित किया गया। शिक्षा विभाग के द्वारा अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए हुनर कार्यक्रम चलाया गया। इसमें अच्छी सफलता के बाद समाज के अन्य वर्गों की महिलाओं के लिए इसका विस्तार किया गया। उस समय केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम को सराहा और इसे अपनाया भी। कौशल विकास मिशन को एक करोड़ युवाओं को पांच वर्षो में हुनरमंद बनाने का लक्ष्य दिया गया था। शुरुआती तीन वर्षों में काफी कठिनइयाॅ रहीं और अब वर्ष 2020 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करना है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में युवाओं की आबादी सबसे अधिक है, इसे दक्ष बनाकर उन्हें रोजगारपरक बनाया जा सकता है, जिनका उपयोग देश के अंदर अन्य राज्यों एवं विदेशों में हो सकता है। आज देश के विकसित राज्यों एवं विदेशों में दक्ष युवाओं की मांग है। बिहार के युवा अपने को हुनरमंद बनाकर अपनी उपयोगिता साबित कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 12 वर्षों में हरेक क्षेत्र में काम किया गया है। हमने शुरु में ही अपने अधिकारियों से कहा था कि आप योजना बनाइये पैसे की चिंता मत कीजिए। उस समय पूरे बिहार का बजट 22 हजार करोड़ रुपए का हुआ करता था। इस साल का बजट आकार 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का है, जिसमें 90 हजार करोड़ रुपये विकास कार्यों में खर्च होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण, उद्योग जैसे हर विभागों में काम होना है। अतः बिहार में स्किल्ड युवाओं के लिए रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। बिहार में काम की कमी नहीं है। दीवार बनाने से सड़क बनाने तक स्किल्ड लोगों की जरुरत है। मुझे खुशी है कि इस प्रतियोगिता में इन क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। आधारभूत संरचना, निर्माण कार्य, सामाजिक क्षेत्र के साथ-साथ हर क्षेत्रों में दक्ष लोगों की कमी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2011 में डेवलपमेंट मैनेजमेंट इस्टीच्यूट की स्थापना की गई थी। 

डेवलपमेंट की संकल्पना विकसित की गई। विकास के लिए योजनाएं बननी चाहिए। उसमें इसी माइंडसेट के कार्यान्वयन करने वाले लोग होने चाहिए। हम न्याय के साथ विकास कर रहे हैं। हर क्षेत्र का विकास, हर समुदाय के विकास में लगे हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे लोगों की आमदनी बढ़ी है तो ख्वाहिशें भी बढ़ी हैं। आज गांव में भी ब्यूटीफिकेशन का प्रचलन बढ़ा है। अतः हरेक जगहों पर स्किल डेवलप्ड युवाओं की जरुरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निश्चय योजना के तहत हर घर में शौचालय, हर घर में नल का जल, हर गांव में पक्की गली और नाली, हर घर तक बिजली का कनेक्शन पर काम किया जा रहा है। सात निश्चय के तहत युवाओं के लिए पांच अवयवों पर काम किया गया। बिहार के ज्यादा से ज्यादा छात्र उच्चतर शिक्षा हासिल कर सकें इसके लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरु की गई। अब राज्य सरकार अपने शिक्षा वित्त निगम के द्वारा स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत युवाओं को 4 प्रतिशत ब्याज पर शिक्षा ऋण उपलब्ध करायेगी। लड़कियों एवं दिव्यांगों को यह ऋण एक प्रतिशत दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है।  कुशल युवा कार्यक्रम के तहत 240 घंटों में युवाओं को कंप्यूटर, संवाद कौशल, व्यवहार कौशल की जानकारी दी जा रही है। अभी तक 3 लाख से ज्यादा युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। युवाओं की उद्यमिता के लिए 500 करोड़ का वेंचर कैपिटल फंड बनाया गया है। स्वयं सहायता भत्ता के तहत रोजगार प्राप्त करने की तलाश में युवाओं को दो वर्ष तक 1000 रुपया प्रतिमाह की दर से सहायता प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को बिहार के बाहर पढ़ने के लिए नहीं जाना पड़े इसके लिए हरेक जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज, पारा मेडिकल संस्थान, महिला आई0टी0आई0, जी0एन0एम0 संस्थान खोले जा रहे हैं। हरेक सब डिवीजन में ए0एन0एम0 स्कूल, आई0टी0आई0 खोले जा रहे हैं। बख्तियारपुर जो कि मेरा जन्मस्थान है और मैने चूॅकि इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है इसलिये मेरी इच्छा थी कि बख्तियारपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज खुले। अब वहां जमीन उपलब्ध हो गयी है, अभी वर्तमान में इसका संचालन पटना से हो रहा है। युवाओं की सहायता हर स्तर पर सरकार करना चाहती है। रोजगार के अनुरुप लोगों को प्रशिक्षित होना चाहिए। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपलोगों ने जो इस तरह का आयोजन किया है इससे लोगों के अंदर का व्यक्तित्व उभरेगा। दक्ष युवाओं के लिए रोजगार की विशाल संभावना है। मुझे पूरा भरोसा है कि आपलोगों के इस तरह के आयोजन से पूरा लाभ मिलेगा। मैं आप सभी प्रतियोगियों को बधाई देता हूं और मेरा सपना है कि हमारे यहां के जो युवा हैं वो दुनिया भर के कंपिटिशन में शामिल हों। राज्य सरकार को स्किल डेवलपमेंट के लिए जो कुछ भी करना होगा, हमलोग करेंगे।
मुख्यमंत्री का स्वागत पुस्तक एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत के पहले मुख्यमंत्री ने लगायी गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस मौके पर हैंडबुक (प्रतियोगियों की प्रोफाइल) का विमोचन किया गया। सीडैक एवं कल्याण विभाग, आई0एम0सी0 वोमेन आई0टी0आई0 (ब्यूटी के क्षेत्र में) एवं जावेद हबीब के वुमेन आई0टी0आई0, आई0एम0सी0 दीघा आई0टी0आई0 एवं ई0डी0आई0 के बीच तीन समझौता पत्रों का आदान-प्रदान किया गया।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, श्रम संसाधन मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त श्री शिशिर सिन्हा, श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने भी सभा को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में विधायक श्री संजीव चैरसिया, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री मनीष कुमार, योजना परिषद की मुख्य परामर्शी श्रीमती हरजीत कौर, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अतीश चंद्रा, सीमैड के डायरेक्टर जेनरल डॉ0 हेमंत धारवाड़ी, जे0एच0ग्रुप0 के चेयरमैन जनाब जावेद हबीब, आई0एच0एम0 के प्राचार्य श्री सुदेश श्रीवास्तव, बी0आई0टी0 पटना के निदेशक श्री बी0के0 सिन्हा, नाइलेट के निदेशक श्री आलोक त्रिपाठी, जिलाधिकारी श्री कुमार रवि सहित अन्य प्रतिभागीगण एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Rajanish Kant शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018
बिहार में बेटियों को पैदा होने से स्नातक करने तक कुल ₹54,100 देगी सरकार, पूरी खबर जानने के लिए पढ़ें
बिहार की नीतीश सरकार ने सूबे की बेटियों को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए  मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत सरकार बच्चियों के जन्म से लेकर उसके स्नातक होने तक  कुल ₹54,100 देगी। ये पैसे बच्चियों के माता-पिता या कानूनी अभिभावक के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए जाएंगे। सारे पैसे एक साथ नहीं बल्कि अलग-अलग अंतराल पर दिए जाएंगे। 

>योजना की खास बातें: 
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजनान्तर्गत समाज कल्याण विभाग द्वारा कन्या शिशु के जन्म पर माता/पिता/अभिभावक के बैंक खाते में ₹ 2000 देने का प्रावधान है। साथ ही 1 वर्ष पूरा होने तथा आधार पंजीयन  कराने पर माता/पिता/अभिभावक के बैंक खाते में ₹ 1000 देने का प्रावधान किया गया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर कन्या के सम्पूर्ण टीकाकरण कराने पर माता/पिता/अभिभावक के बैंक खाते में ₹ 2000  देने का प्रावधान, जबकि शिक्षा विभाग द्वारा वर्ग  1-2 के लिये मुख्यमंत्री पोशाक योजना (बालिकाओं के लिए) के अन्तर्गत ₹ 400 की राशि को बढ़ाकर ₹ 600 किया गया है। 

उसी प्रकार शिक्षा विभाग द्वारा वर्ग 3-5 के लिए मुख्यमंत्री पोशाक योजना (बालिकाओं के लिए) के अन्तर्गत ₹ 500 की राशि को बढ़ाकर ₹ 700 किया गया है। वर्ग 6-8 के लिए मुख्यमंत्री बालिका पोशाक येजना के अन्तर्गत ₹700 की राषि को बढ़ाकर ₹ 1000 किया गया है। वर्ग 9-12 के लिए  बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री बालिका पोषाक योजना के अन्तर्गत ₹ 1000 की राशि को बढ़ाकर ₹ 1,500 किया गया है। मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम में (सैनेटरी नैपकीन के लिए) ₹ 150 की राशि को बढ़ाकर ₹ 300 किया गया है। ये वर्ग 7-12 की बालिकाओं को देय होगा। मुख्यमंत्री  बालिका (इन्टरमीडिएट) प्रोत्साहन योजना के तहत अविवाहित इन्टरमीडिएट (10+2) उतीर्ण बालिकाओं को ₹ 10,000 दिया जाएगा एवं मुख्यमंत्री बालिका (स्नातक) प्रोत्साहन योजना के तहत स्नातक उतीर्ण बालिकाओं को ₹25,000 दिया जायेगा। इस प्रकार समेकित रूप से एक कन्या को जन्म से स्नातक होने तक कुल ₹54,100 तक मिल सकेगा। 

शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित योजनाएं- राजकीय/राजकीयकृत/गैर सरकारी सहायता प्राप्त (अल्पसंख्यक सहित) प्रारंभिक/माध्यमिक एवं  उच्च माध्यमिक विद्यालयों (प्रोजेक्ट विद्यालय सहित)/प्रस्वीकृत/सम्बद्धता प्राप्त विद्यालय/अनुदानित अराजकीय प्रस्वीकृत मदरसा/संस्कृत एवं वित  रहित विद्यालय/राजकीय महाविद्यालय/अंगीभूत एवं विष्वविद्यालय से संबंद्धता प्राप्त (अल्पसंख्यक सहित) महाविद्यालय की छात्राएं लाभान्वित होंगी। इस योजना का कार्यान्वयन समाज कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किया जायेगा एवं प्रोत्साहन राशि का भुगतान  लाभार्थी  को डी0बी0टी0 के माध्यम से उनके बैंक खाते में किया जायेगा। 

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना पर प्रति वर्ष ₹ 2,221 करोड़ से अधिक राशि व्यय कर लगभग 1 करोड़ 60 लाख कन्याओं को लाभान्वित करने का अनुमान है। इसके अतिरिक्त आज की कैबिनेट की बैठक में अन्य तीन निर्णय लिये गये। मुख्यमंत्री सामाजिक सहायता एवं प्रोत्साहन  के तहत बिहार  निशक्तता पेंशन योजना में आंशिक संशोधन करते हुये वैसे तेजाब  पीड़ित के मामले में जो बिहार का मूल निवासी हो या तेजाब हमला की घटना बिहार  में हुआ हो, को पेंशन देने हेतु दिव्यांगता की न्यूनतम  अर्हता 40 प्रतिशत की शर्त विलोपित करने की स्वीकृति का निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त केन्द्र प्रायोजित Umbrella ICDS तथा NSAP स्कीम में ससमय केन्द्रांश मद की राशि प्राप्त नहीं होने से योजना का कार्य बाधित हो जाने के कारण कार्य हित में केन्द्रांश मद की राशि की प्राप्ति की प्रत्याशा में उदव्यय/बजट उपबंध के अन्तर्गत राज्यांष मद की राशि की निकासी एवं व्यय हेतु वित विभाग के संकल्प संख्या- 3758, दिनांक- 3105.2017 की कंडिका 7क को umbrella ICDS तथा NSAP स्कीम के लिये शिथिल करने की स्वीकृति का  निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त समेकित बाल विकास योजना  के तहत राज्य योजना से ऑगनबाड़ी केन्द्रां के बच्चों के लिये पोशाक योजना में प्रति लाभार्थी देय राशि ₹250 से बढ़ाकर ₹400 करने की स्वीकृति करने का निर्णय लिया गया।

महिलाओं के सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण तथा उनके समानता के अधिकार को सुदृढ़ करते हुये उन्हें विकास की  मुख्यधारा से जोड़ने हेतु राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ अनेक नीतिगत पहल भी की है। पंचायत एवं नगर निकाय निर्वाचन, प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति, पुलिस एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे कदम से महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ी है। जीविका कार्यक्रम ने भी महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सषक्त बनाया है। षिक्षा प्रक्षेत्र में बालिकाओं के लिये पोशाक योजना, साइकिल योजना, छात्रवृति योजना, मेधावृति योजना के फलस्वरूप कक्षाओं में लड़के/लड़कियों का अनुपात लगभग बराबर हो गया है। सामाजिक प्रक्षेत्र में समेकित बाल विकास कार्यक्रम, कन्या विवाह योजना, नारी शक्ति योजना, कामकाजी महिलाओं के लिये छात्रावास, महिला हेल्प लाइन आदि से कन्याएं स्वावलम्बी बन रही हैं। सामाजिक बदलाव के अभियान जैसे- शराबबंदी, बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा का उन्मूलन से महिलाओं के जीवन स्तर में बेहतरी आई है। राज्य में महिला सशक्तिकरण नीति भी लागू की गई है। फिर भी देखा जा रहा है कि कन्याओं को जन्म से ही स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण जैसे मुद्दों पर प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। 

बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा  अभी भी एक सामाजिक समस्या है। बिहार में शिशु मृत्यु दर 38 है, जिसमें बालकों का दर 31 है, वहीं बालिकाओं में यह 46 है। पोषाहार, टीकाकरण,  उचित चिकित्सा देखभाल की कमी एवं कम उम्र में विवाह के कारण कन्याओं में मृत्यु दर, वजन में गिरावट, कुपोषण, स्टंटिंग आदि की समस्या होती है। इसलिये राज्य सरकार द्वारा बालिकाओं को जीवन के विभिन्न पड़ावों पर जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उसे समेकित रूपसे देखते हुये दूर करने पर विचार किया गया। इस संदर्भ में सरकार ने बालिकाओं के संरक्षण-स्वास्थ्य-शिक्षा-स्वावलंबन पर आधारित मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का सूत्रण किया है। इस योजना का उद्देष्य कन्या भू्रण हत्या को रोकना, कन्याओं के जन्म, निबंधन एवं सम्पूर्ण टीकाकरण को प्रोत्साहित करना, लिंग अनुपात में वृद्धि लाना, बालिका शिशु मृत्यु दर को कम करना, बालिका षिक्षा को बढ़ावा देना, बाल-विवाह पर अंकुश लागना तथा कुल प्रजनन दर में कमी लाना हैं साथ ही बालिकाओं को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना, सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने के अवसर प्रदान करना तथा परिवार एवं समाज में उनके आर्थिक  योगदान बढ़ाना भी इस योजना का लक्ष्य है। यह योजना न्दपअमतेंस ब्वअमतंहम अर्थात राज्य की सभी कन्याओं को जन्म से लेकर स्नातक होने के लिये  होगी। इस योजना का लाभ परिवार के दो बच्चों तक सीमित रहेगा। आज मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद सभाकक्ष में राज्य कैबिनेट की बैठक में बालिकाओं के हित में यह ऐतिहासिक निर्णय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में लिया गया। 


Rajanish Kant गुरुवार, 19 अप्रैल 2018