कमोडिटी और मार्केट रेगुलेटर सेबी ने निवेश साधनों (निवेश उत्पाद, Investment Instruments, Investment Products) की बिक्री और सलाह को लेकर सख्त नियमों की वकालत करते हुए
कुछ प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव के मुताबिक, निवेश सलाहकार कोई भी निवेश साधन नहीं बेच पाएंगे। निवेश सलाहकार और निवेश उत्पाद बेचने वाले व्यक्ति अलग-अलग होंगे। दोनों सर्विस के लिए फीस भी अलग-अलग चार्ज किए जाएंगे। सेबी ने संबंधित पक्षों से 14 जुलाई तक इन प्रस्तावों पर टिप्पणी मांगी है।
सेबी ने कहा है कि जो व्यक्ति/ कंपनी निवेश के बारे में सलाह भी देते हैं और वही व्यक्ति/ कंपनी निवेश प्रोडक्ट बेचते हैं, तो इससे हित का टकराव (Conflict of Interest) होता है, जिसे रोकना जरूरी है। सेबी ने सलाहकारों को नसीहत दी है कि उन्हें निवेशकों को उनकी जरूरत के हिसाब से और उनके लिए जो उपयुक्त हो, वैसे निवेश प्रोडक्ट के बारे में बताएं। लेकिन, ईमानदारी के साथ और पूरी तरह से विश्लेषण करने के बाद बताएं। सेबी ने आगे कहा है कि जो कंपनियां सिर्फ सलाहकारी कारोबार में है उन्हें निवेश प्रोडक्ट नहीं बेचना चाहिए, क्योंकि इससे हितों का टकराव होता है। सेबी ने कहा है कि जो निवेश के बारे में सलाह देते हैं, उनको सेबी से अनुमति लेना जरूरी है। सलाहकार को निवेश प्रोडक्ट के बारे में सेबी को जानकारी भी देनी होगी।
सेबी के इस प्रस्ताव में म्युचुअल फंड्स प्रोडक्ट्स के बारे में सलाह देने और उसकी बिक्री या वितरण के कामों को भी अलग करने की बात कही गई है। दोनों अब अलग-अलग सेवाएं होंगी। मतलब, जो किसी म्युचुअल फंड्स प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दे रहा हो, वह प्रोडक्ट नहीं बेच सकता है। म्युचुअल फंड सलाहकार केवल किसी स्कीम के बारे में व्याख्या कर सकता है, पूरी जानकारी दे सकता है, जबकि जो म्युचुअल फंड्स डिस्ट्रिब्यूटर्स या सेलर्स निवेशकों को वहीं निवेश प्रोडक्ट बेच सकता है, जो निवेशक की जरूरत के हिसाब से हो और उसकेअनुकूल हो।
सेबी ने कहा है कि म्युचुअल फंड्स स्कीम के बारे में गलत जानकारी देकर उसे निवेशकों को बेचने के संबंध में काफी शिकायतें मिल रहीं थीं। सेबी ने सभी संबंधित पक्षों से इस प्रस्ताव पर 14 जुलाई तक टिप्पणी मांगी है।
आपको बता दें कि सेबी इक्विटी, कमोडिटी डेरिवेटिव्ज, कॉर्पोरेट बांड्स और म्युचुअल फंड्स में होने वाले कारोबार पर नजर रखता है, जबकि रिजर्व बैंक करेंसी और सरकारी बांड्स के कारोबार पर।