गोल्ड डिपॉजिट स्कीम (GDS): ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा

घरों में बिना इस्तेमाल के पड़े सोना को बाहर निकालने के इरादे से शुरू की जाने वाली गोल्ड डिपॉजिट स्कीम यानी स्वर्ण जमा योजना के तहत मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स,  वेल्थ टैक्स या फिर कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं देना होगा। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने संसद में लिखित उत्तर में इसकी जानकारी दी।

सिन्हा ने बताया कि प्रस्तावित स्कीम के तहत सरकार का सोना जमा करने की सीमा को 100 ग्राम रखने की कोई प्रस्ताव नहीं है।

GDS (गोल्ड डिपॉजिट स्कीम) की खासियत: 
-RBI की गाइडलाइंस के मुताबिक, सभी अधिकृत बैंक
गोल्ड डिपॉजिट स्कीम ऑपरेट कर सकते हैं
-सोना (बार, सिक्का, जूलरी आदि) केवल स्क्रैप रूप में स्वीकार
-केवल भारतीय GDS में निवेश कर सकते हैं
-स्कीम के निवेशकों को बैंक पासबुक या सर्टिफिकेट जारी
करेंगे
-गोल्ड सर्टिफिकेट का भुगतान सोने में किया जाएगा। इसका रिपेमेंट में रुपए में भी किया जा सकता है। मैच्युरिटी की तारीख के समय सोने की जो कीमत होगी, निवेशक को उतने पैसों का
भुगतान किया जाएगा। निवेशकों के पास दोनों विकल्प रहेंगे।
-शुरुआती लॉक-इन-पीरियड के बाद ही प्रीमैच्योर पेमेंट की सुविधा
-प्रीमच्योर पेमेंट गोल्ड या कैश किसी भी रूप में, निवेशक पर
निर्भर
-बैंक ब्याज दर तय करने के लिए स्वतंत्र
-गोल्ड डिपॉजिट की मैच्योरिटी अवधि 6 महीने से 7 साल तक
-गोल्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स, वेल्थ
टैक्स और कैपिटल टैक्स से मुक्त
            गोल्ड डिपॉजिट स्कीम के जरिए सरकार बेकार पड़े सोने का प्रोडक्टिव इस्तेमाल के साथ सोने पर विदेशी निर्भरता कम करने, इसके मालिकों को अतिरिक्त आमदनी मुहैया कराने और करंट अकाउंट डिफिसिट (CAD) को काबू में करना चाहती है।
       सरकार के मुताबिक, घरों में करीब 20 हजार टन सोना बेकार पड़ा है जिसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है, जबकि हमें सोना के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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