MAT के संबंध में FII/FPI पर कार्रवाई ना हो: सरकार

सरकार द्वारा न्‍यायमूर्ति ए.पी. शाह समिति की सिफारिश की स्‍वीकृति के बाद CBDT यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने अपने फील्‍ड अधिकारियों को इस साल एक अप्रैल से पहले की अवधि के लिए FIIs/FPIs पर MAT यानी न्यूनतम वैकल्पिक कर की उपयुक्‍तता से संबद्ध मामलों में लंबित मूल्‍यांकन कार्यवाही को फिलहाल स्‍थगित रखने की सलाह दी है।

सीबीडीटी ने अपने अधिकारियों को इस तरह के मामलों में, बकाया मांगों की वसूली, यदि कोई हो तो नहीं किये जाने की सलाह दी है

न्‍यायमूर्ति ए पी शाह की अध्‍यक्षता में प्रत्‍यक्ष कर मामलों के संबंध में 1.4.2015 से पहले की अवधि के लिए FIIs/FPIs पर न्‍यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) की उपयुक्‍तता के मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की गई थी। समिति ने 25.8.2015 को अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

रिपोर्ट में मांग की गई है कि आयकर अधिनियम 1961 (‘एक्‍ट’) की धारा-115जेबी में संशोधन किया जाये ताकि भारत में स्‍थायी प्रतिष्‍ठान (पीई)/स्‍थान न होने वाले FIIs/FPIs के लिए धारा-115जेबी के प्रावधानों की अनुपयुक्‍तता स्‍पष्‍ट की जा सके।

सरकार ने सिफारिश को स्‍वीकार किया है और इस बात का निर्णय लिया गया है कि अधिनियम में उचित संशोधन किया जाये। इस साल एक अप्रैल की अवधि के पूर्व भारत में व्‍यापार के लिए जगह/स्‍थाई प्रतिष्‍ठान
नहीं होने वाले FIIs/ FPIs ऊपर एमएटी प्रावधान लागू न किये जाने के लिए यह संशोधन किये जायेंगे।

फील्‍ड अधिकारियों को इसी के अनुरूप उपरोक्‍त स्थिति को मद्देनजर रखकर सलाह दी गई है कि FIIs/FPIs के मामलों से संबंद्ध लंबित मूल्‍यांकन कार्यवाही को

अभी के लिए स्‍थगित रखा जाये। ऐसे मामलों में बकाया मांगों की वसूली अगर कोई है तो फिलहाल न किये जाने की भी उन्‍हें सलाह दी गई है। केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस बारे में एक निर्देश जारी किया है।

((MAT पर FPI को राहत, सरकार ने स्वीकारी शाह कमिटी की सिफारिश
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/mat-fpi.html

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