रिजर्व बैंक ने 29 सितंबर को रेपो रेट में 0.50% की कटौती के अलावा कई और महत्वपूर्ण घोषणाएं की। इन घोषणाओं के जरिए केंद्रीय बैंक का मुख्य उद्देश्य सिस्टम में आसान और सस्ता फंड उपलब्ध कराना, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान को बढ़ावा देना, साइबर अपराध से निपटना है।
इसके अलावा, बेस रेट, जिसके आधार पर बैंक ग्राहको को लेन देते हैं, के मौजूदा कैलकुलेशन की समीक्षा करना, ताकि रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती का फायदा बैंक तुरंक ग्राहकों को दे सकें। मसलन, इस साल जनवरी से सितंबर तक रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 1.25% की कटौती कर चुका है, लेकिन बैंक अब तक 0.70% की कटौती का ही फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं। इसके लिए रिजर्व बैंक बैंकों को फटकार भी लगा चुका है, लेकिन बैंक अधिक कॉस्ट ऑफ फंडिग का हवाला देकर ब्याज दर में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को देने से इनकार करते रहे हैं।
आइए देखते हैं रिजर्व बैंक के किस फैसले का आने वाले दिनों में क्या असर मुमकिन है...
1- फैसला: रेपो रेट में 0.5% की कटौती
असर: कर्ज और जमा दरें कम होंगी, बान्ड फंड को फायदा, ब्याज दर से जुड़े स्टॉक मसलन, रियल्टी, ऑटो, बैंक में तेजी संभव
((बैंक घटा रहे हैं बेस रेट, जानिए कहां मिलेगा सबसे सस्ता कर्ज
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/10/blog-post_45.html
2-फैसला: सरकारी बान्ड में FPI ( विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट्स) नियमों में ढील
दी जाएगी, राज्य सरकारी बान्ड में निवेश की मंजूरी
- विदेशी संविभाग निवेशकों (FPI) द्वारा निवेश की अधिक पूर्वानुमान करने योग्य व्यवस्था को स्थापित करने के उद्देश्य से ऋण प्रतिभूतियों की FPI सीमाओं के लिए सरकार से परामर्श करते हुए मध्यावधि ढांचा (MTF) तैयार किया गया है, जिसकी मुख्य बातें निम्नानुसार हैं –
(i) आगे से, ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश की सीमाएं रुपये में मूल्यवर्गित कर घोषित/निर्धारित की जाएंगी।
(ii) केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश की सीमाओं को चरणबद्ध ढंग से बढ़ा कर मार्च 2018 तक, बकाया भंडार के 5 % तक की जाएगी। समग्ररूप से, यह प्रत्याशा है कि इसके कारण सभी सरकारी प्रतिभूतियों (G-Sec.) से संबंधित वर्तमान ₹ 1,535 बिलियन की सीमा के अलावा केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में ₹ 1,200 बिलियन के अतिरिक्त निवेश का गुंजाइश बनेगी।
(iii) इसके अतिरिक्त, राज्य विकास ऋणों (SDL) FPI द्वारा निवेश के संबंध में एक अतिरिक्त सीमा होगी जिसे मार्च 2018 तक, चरणबद्ध ढंग से बकाया भंडार के 2% तक बढ़ाया जाना होगा। इसके कारण मार्च 2018 तक लगभग ₹ 500 बिलियन सीमा में अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी।
(iv) सीमाओं में वृद्धि की घोषणा प्रत्येक छमाही में मार्च और सितंबर में की जाएगी और उसे प्रत्येक तिमाही में जारी किया जाएगा।
(v) सरकारी प्रतिभूतियों (SDL सहित) में निवेश करने की वर्तमान अपेक्षा, तीन वर्षों की न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता सहित, जारी रहेगी।
(vi) वर्तमान वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिए सीमाएं को दो चरणों में, 12 अक्तूबर 2015 से और 1 जनवरी 2016 से बढ़ाई जाएंगी। प्रत्येक चरण में होने वाली वृद्धि निम्नानुसार होगी :
(केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के संबंध में ₹ 130 बिलियन, जिसमें दीर्घवधि निवेशकों के लिए ₹ 75 बिलियन तथा अन्य के लिए ₹ 55 बिलियन की राशि समाहित होगी।) SDL के संबंध में ₹ 35 बिलियन, जो सभी FPI निवेशकों के लिए उपलब्ध होगा।
असर: देश में अधिक पूंजी आएगा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से अगर विदेशी पूंजी बाहर जाती है, तो वैसी स्थिति से निपटने में कारगार कदम
3-फैसला: सस्ते घर के लिए लोन देने के रिस्क वेट को कम करना
- वर्तमान में वैयक्तिक आवास ऋणों पर लागू न्यूनतम जोखिम भार 50% है। आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों और निम्न आय समूहों के लिए ‘‘कम लागत के आवास की वहनीयता’’ में सुधार लाने तथा ‘‘सभी के लिए घर’’ को बढ़ावा देने की दृष्टि से और साथ विवेकपूर्ण आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव किया गया है कि निम्न मूल्य के, किंतु अच्छे ढंग से संपार्श्वीकृत वैयक्तिक आवास ऋणों के लिए लागू जोखिम भारों में कटौती की जाए।
असर: 25 लाख रुपए से कम के घरों के लिए बैंक अधिक से अधिक सस्ते लोन स्कीम लांच कर सकेंगे
4-फैसला: रिज़र्व बैंक ने आधार दर (Base Rate), जो कि निधियों (फंड्स) की उनकी सीमांत लागत पर आधारित है, के परिकलन (कैलकुलेशन)पर बैंकों के लिए दिशानिर्देशों का प्रारूप राय जानने के लिए उपलब्ध कराया है। ये दिशानिर्देश नवंबर 2015 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
असर: भविष्य में रिजर्व द्वारा नीतिगत दरों में कटौती का फायदा बैंक तुरंत ग्राहकों को दे सकेंगे।
5-फैसला: बैंकों को रिजर्व बैंक द्वारा उनके लोन क्वालिटी पर किए गए निगेटिव निरीक्षण का खुलासा करना होगा
असर: बैंकों के लिए खराब लोन (NPA) से संबंधित जानकारी छुपाना आसान नहीं होगा
6-फैसला: 10 से अधिक वर्षों तक बेदावा (Unclaimed) रहने वाली बैंक जमा राशियों तथा अन्य जमा शेष को अंतरित करते हुए जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरुकता योजना, 2014 प्रारंभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के मंतव्य वाले प्रस्तावों के आधार पर चयनित आवेदकों को वित्तीय सहायता मंजूर करने की परिकल्पना की गई है। 9 जनवरी 2015 को जारी की गई प्रेस प्रकाशनी की प्रतिक्रिया स्वरूप रिज़र्व बैंक को वित्तीय सहायता के लिए 90 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
सफल (चुने हुए) आवेदकों के नाम 1 अक्तूबर 2015 को कर दिए गए। इस निधि से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन आमंत्रित करने की खिड़की को पुन: खोला गया।
असर: वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) बढ़ाने और फिर वित्तीय समावेशन (Finanacial Inclusion) में मदद
7-फैसला: फिलहाल एक्सचेंज ट्रेडेड मुद्रा डेरिवेटिवों (Exchange Traded Currency Derivatives) में चार मुद्रा जोड़ों अर्थात अमरीकी डालर-आईएनआर (USD-INR), यूरो-आईएनआर(Euro-INR), जीबीपी-आईएनआर (GBP-INR) और जापानी येन-आईएनआर (Japani Yen-INR) में फ्यूचर्स और ऑप्शंस शामिल हैं। विदेशी मुद्राओं में निवेश का सीधा बचाव करने में सक्षम बनाने और बाजार प्रतिभागियों द्वारा देशपार मुद्रा कार्यनीतियों के निष्पादन की अनुमति देने की दृष्टि से, एक्सचेंज ट्रेडेड फ्यूचर्स और ऑपशंस को तीन मुद्रा जोड़ों अर्थात यूरो-अमरीकी डॉलर (Euro-USD), ब्रिटिश पाउंड-अमरीकी डॉलर (GBP-USD) और अमरीकी डॉलर-जापानी येन (USD-Japani Yen) में शुरू किया जाएगा। सेबी के साथ परामर्श से आवश्यक दिशानिर्देश नवंबर 2015 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
असर: कॉर्पोरेट्स को सीधे विदेशी मुद्राओं में हेज करने और विदेशी मुद्रा कार्यनीतियों के निष्पादन की अनुमति मिल जाएगी
8-फैसला: - सत्यापन योग्य दस्तावेजी सबूत के माध्यम से अंतर्निहित जोखिम स्थापित करना ओटीसी विदेशी मुद्रा बाजार की पहुँच के लिए एक महत्वपूर्ण विनियामक आवश्यकता है। ओटीसी बाजार में अपनी मुद्रा जोखिम का प्रबंध करने और हेजिंग को आसान बनाने के लिए बाजार सहभागियों के लिए और अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि निवासी संस्थाओं के लिए ओटीसी बाजार में अपने
विदेशी मुद्रा जोखिम की हेजिंग के लिए किसी भी अंतर्निहित दस्तावेजों की प्रस्तुति के बगैर एक साधारण घोषणापत्र की प्रस्तुति के अधीन सीमा 2,50,000 अमेरिकी डालर से एक मिलियन अमेरिकी डालर तक बढ़ाई जाए।
आगे यह भी प्रस्ताव है कि ओटीसी बाजार में प्रलेखन से संबंधित आवश्यकताओं की व्यापक समीक्षा की जाए। मुद्रा बाजार में अंतर्निहित जोखिम के बिना आर्थिक रूप से परिष्कृत निवेशकों की कुछ सीमा तक भागीदारी की संभावना की भी जांच की जाएगी। मौजूदा ढांचे के संशोधित मसौदे को दिसंबर 2015 के अंत तक सार्वजनिक टिप्पणी के लिए जारी किया जाएगा।
असर: डेरिवेटिव्ज मार्केट में अधिक लिक्विडिटी आएगी, घरेलू कारोबारियों के लिए विदेशी मुद्रा जोखिम कम करने में मदद मिलेगी।
9-फैसला: बढ़ते वित्तीय समावेशन के साथ, प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने और एक "कम नकदी" समाज की ओर प्रस्थान करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान और लेन-देन के लिए कार्ड के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक देश में, विशेष रूप से टीयर III से VI तक के केंद्रों में, कार्ड स्वीकृति के बुनियादी ढांचे के प्रसार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में एक अवधारणा पत्र (कन्सेप्ट पेपर) नवंबर 2015 के अंत तक जारी करेगा।
असर: इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सिस्टम को बढ़ावा देने में मदद
10-फैसला: साइबर सुरक्षा ने दुनिया भर में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। नई प्रौद्योगिकियों के व्यापक स्तर पर प्रयोग किए जाने, अंतर-संबद्धता और निर्भरता के बढ़ जाने के कारण नए जोखिम, चुनौतियां और कमजोरियां प्रकट हुई हैं। रिजर्व बैंक ने, स्वयं के साइबर संबंधी उपायों में रिजर्व बैंक को सहायता प्रदान करने के साथ ही साथ बैंकों की तैयारी की निगरानी करने और प्रणालीगत कमजोरियों की पहचान करने के
लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सहायक संस्था की स्थापना कर रहा है।
असर: साइबर सिक्योरिटी को मजबूत किया जा सकेगा, बैंकों की डिजीटल गतिविधियों के लिए अधिक प्रभावकारी नियम
((ब्याज दरों में कटौती का इकोनॉमी, आम लोगों के लिए मायने
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/blog-post_35.html
((रिजर्व बैंक का तोहफा, रेपो रेट 0.5%घटाकर 6.75 % किया, CRR में बदलाव नहीं
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/05-675-crr.html
इसके अलावा, बेस रेट, जिसके आधार पर बैंक ग्राहको को लेन देते हैं, के मौजूदा कैलकुलेशन की समीक्षा करना, ताकि रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती का फायदा बैंक तुरंक ग्राहकों को दे सकें। मसलन, इस साल जनवरी से सितंबर तक रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 1.25% की कटौती कर चुका है, लेकिन बैंक अब तक 0.70% की कटौती का ही फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं। इसके लिए रिजर्व बैंक बैंकों को फटकार भी लगा चुका है, लेकिन बैंक अधिक कॉस्ट ऑफ फंडिग का हवाला देकर ब्याज दर में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को देने से इनकार करते रहे हैं।
आइए देखते हैं रिजर्व बैंक के किस फैसले का आने वाले दिनों में क्या असर मुमकिन है...
1- फैसला: रेपो रेट में 0.5% की कटौती
असर: कर्ज और जमा दरें कम होंगी, बान्ड फंड को फायदा, ब्याज दर से जुड़े स्टॉक मसलन, रियल्टी, ऑटो, बैंक में तेजी संभव
((बैंक घटा रहे हैं बेस रेट, जानिए कहां मिलेगा सबसे सस्ता कर्ज
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/10/blog-post_45.html
2-फैसला: सरकारी बान्ड में FPI ( विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट्स) नियमों में ढील
दी जाएगी, राज्य सरकारी बान्ड में निवेश की मंजूरी
- विदेशी संविभाग निवेशकों (FPI) द्वारा निवेश की अधिक पूर्वानुमान करने योग्य व्यवस्था को स्थापित करने के उद्देश्य से ऋण प्रतिभूतियों की FPI सीमाओं के लिए सरकार से परामर्श करते हुए मध्यावधि ढांचा (MTF) तैयार किया गया है, जिसकी मुख्य बातें निम्नानुसार हैं –
(i) आगे से, ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश की सीमाएं रुपये में मूल्यवर्गित कर घोषित/निर्धारित की जाएंगी।
(ii) केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश की सीमाओं को चरणबद्ध ढंग से बढ़ा कर मार्च 2018 तक, बकाया भंडार के 5 % तक की जाएगी। समग्ररूप से, यह प्रत्याशा है कि इसके कारण सभी सरकारी प्रतिभूतियों (G-Sec.) से संबंधित वर्तमान ₹ 1,535 बिलियन की सीमा के अलावा केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में ₹ 1,200 बिलियन के अतिरिक्त निवेश का गुंजाइश बनेगी।
(iii) इसके अतिरिक्त, राज्य विकास ऋणों (SDL) FPI द्वारा निवेश के संबंध में एक अतिरिक्त सीमा होगी जिसे मार्च 2018 तक, चरणबद्ध ढंग से बकाया भंडार के 2% तक बढ़ाया जाना होगा। इसके कारण मार्च 2018 तक लगभग ₹ 500 बिलियन सीमा में अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी।
(iv) सीमाओं में वृद्धि की घोषणा प्रत्येक छमाही में मार्च और सितंबर में की जाएगी और उसे प्रत्येक तिमाही में जारी किया जाएगा।
(v) सरकारी प्रतिभूतियों (SDL सहित) में निवेश करने की वर्तमान अपेक्षा, तीन वर्षों की न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता सहित, जारी रहेगी।
(vi) वर्तमान वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिए सीमाएं को दो चरणों में, 12 अक्तूबर 2015 से और 1 जनवरी 2016 से बढ़ाई जाएंगी। प्रत्येक चरण में होने वाली वृद्धि निम्नानुसार होगी :
(केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के संबंध में ₹ 130 बिलियन, जिसमें दीर्घवधि निवेशकों के लिए ₹ 75 बिलियन तथा अन्य के लिए ₹ 55 बिलियन की राशि समाहित होगी।) SDL के संबंध में ₹ 35 बिलियन, जो सभी FPI निवेशकों के लिए उपलब्ध होगा।
असर: देश में अधिक पूंजी आएगा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से अगर विदेशी पूंजी बाहर जाती है, तो वैसी स्थिति से निपटने में कारगार कदम
3-फैसला: सस्ते घर के लिए लोन देने के रिस्क वेट को कम करना
- वर्तमान में वैयक्तिक आवास ऋणों पर लागू न्यूनतम जोखिम भार 50% है। आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों और निम्न आय समूहों के लिए ‘‘कम लागत के आवास की वहनीयता’’ में सुधार लाने तथा ‘‘सभी के लिए घर’’ को बढ़ावा देने की दृष्टि से और साथ विवेकपूर्ण आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव किया गया है कि निम्न मूल्य के, किंतु अच्छे ढंग से संपार्श्वीकृत वैयक्तिक आवास ऋणों के लिए लागू जोखिम भारों में कटौती की जाए।
असर: 25 लाख रुपए से कम के घरों के लिए बैंक अधिक से अधिक सस्ते लोन स्कीम लांच कर सकेंगे
4-फैसला: रिज़र्व बैंक ने आधार दर (Base Rate), जो कि निधियों (फंड्स) की उनकी सीमांत लागत पर आधारित है, के परिकलन (कैलकुलेशन)पर बैंकों के लिए दिशानिर्देशों का प्रारूप राय जानने के लिए उपलब्ध कराया है। ये दिशानिर्देश नवंबर 2015 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
असर: भविष्य में रिजर्व द्वारा नीतिगत दरों में कटौती का फायदा बैंक तुरंत ग्राहकों को दे सकेंगे।
5-फैसला: बैंकों को रिजर्व बैंक द्वारा उनके लोन क्वालिटी पर किए गए निगेटिव निरीक्षण का खुलासा करना होगा
असर: बैंकों के लिए खराब लोन (NPA) से संबंधित जानकारी छुपाना आसान नहीं होगा
6-फैसला: 10 से अधिक वर्षों तक बेदावा (Unclaimed) रहने वाली बैंक जमा राशियों तथा अन्य जमा शेष को अंतरित करते हुए जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरुकता योजना, 2014 प्रारंभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के मंतव्य वाले प्रस्तावों के आधार पर चयनित आवेदकों को वित्तीय सहायता मंजूर करने की परिकल्पना की गई है। 9 जनवरी 2015 को जारी की गई प्रेस प्रकाशनी की प्रतिक्रिया स्वरूप रिज़र्व बैंक को वित्तीय सहायता के लिए 90 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
सफल (चुने हुए) आवेदकों के नाम 1 अक्तूबर 2015 को कर दिए गए। इस निधि से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन आमंत्रित करने की खिड़की को पुन: खोला गया।
असर: वित्तीय साक्षरता (Financial Literacy) बढ़ाने और फिर वित्तीय समावेशन (Finanacial Inclusion) में मदद
7-फैसला: फिलहाल एक्सचेंज ट्रेडेड मुद्रा डेरिवेटिवों (Exchange Traded Currency Derivatives) में चार मुद्रा जोड़ों अर्थात अमरीकी डालर-आईएनआर (USD-INR), यूरो-आईएनआर(Euro-INR), जीबीपी-आईएनआर (GBP-INR) और जापानी येन-आईएनआर (Japani Yen-INR) में फ्यूचर्स और ऑप्शंस शामिल हैं। विदेशी मुद्राओं में निवेश का सीधा बचाव करने में सक्षम बनाने और बाजार प्रतिभागियों द्वारा देशपार मुद्रा कार्यनीतियों के निष्पादन की अनुमति देने की दृष्टि से, एक्सचेंज ट्रेडेड फ्यूचर्स और ऑपशंस को तीन मुद्रा जोड़ों अर्थात यूरो-अमरीकी डॉलर (Euro-USD), ब्रिटिश पाउंड-अमरीकी डॉलर (GBP-USD) और अमरीकी डॉलर-जापानी येन (USD-Japani Yen) में शुरू किया जाएगा। सेबी के साथ परामर्श से आवश्यक दिशानिर्देश नवंबर 2015 के अंत तक जारी किए जाएंगे।
असर: कॉर्पोरेट्स को सीधे विदेशी मुद्राओं में हेज करने और विदेशी मुद्रा कार्यनीतियों के निष्पादन की अनुमति मिल जाएगी
8-फैसला: - सत्यापन योग्य दस्तावेजी सबूत के माध्यम से अंतर्निहित जोखिम स्थापित करना ओटीसी विदेशी मुद्रा बाजार की पहुँच के लिए एक महत्वपूर्ण विनियामक आवश्यकता है। ओटीसी बाजार में अपनी मुद्रा जोखिम का प्रबंध करने और हेजिंग को आसान बनाने के लिए बाजार सहभागियों के लिए और अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि निवासी संस्थाओं के लिए ओटीसी बाजार में अपने
विदेशी मुद्रा जोखिम की हेजिंग के लिए किसी भी अंतर्निहित दस्तावेजों की प्रस्तुति के बगैर एक साधारण घोषणापत्र की प्रस्तुति के अधीन सीमा 2,50,000 अमेरिकी डालर से एक मिलियन अमेरिकी डालर तक बढ़ाई जाए।
आगे यह भी प्रस्ताव है कि ओटीसी बाजार में प्रलेखन से संबंधित आवश्यकताओं की व्यापक समीक्षा की जाए। मुद्रा बाजार में अंतर्निहित जोखिम के बिना आर्थिक रूप से परिष्कृत निवेशकों की कुछ सीमा तक भागीदारी की संभावना की भी जांच की जाएगी। मौजूदा ढांचे के संशोधित मसौदे को दिसंबर 2015 के अंत तक सार्वजनिक टिप्पणी के लिए जारी किया जाएगा।
असर: डेरिवेटिव्ज मार्केट में अधिक लिक्विडिटी आएगी, घरेलू कारोबारियों के लिए विदेशी मुद्रा जोखिम कम करने में मदद मिलेगी।
9-फैसला: बढ़ते वित्तीय समावेशन के साथ, प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाने और एक "कम नकदी" समाज की ओर प्रस्थान करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान और लेन-देन के लिए कार्ड के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक देश में, विशेष रूप से टीयर III से VI तक के केंद्रों में, कार्ड स्वीकृति के बुनियादी ढांचे के प्रसार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में एक अवधारणा पत्र (कन्सेप्ट पेपर) नवंबर 2015 के अंत तक जारी करेगा।
असर: इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सिस्टम को बढ़ावा देने में मदद
10-फैसला: साइबर सुरक्षा ने दुनिया भर में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। नई प्रौद्योगिकियों के व्यापक स्तर पर प्रयोग किए जाने, अंतर-संबद्धता और निर्भरता के बढ़ जाने के कारण नए जोखिम, चुनौतियां और कमजोरियां प्रकट हुई हैं। रिजर्व बैंक ने, स्वयं के साइबर संबंधी उपायों में रिजर्व बैंक को सहायता प्रदान करने के साथ ही साथ बैंकों की तैयारी की निगरानी करने और प्रणालीगत कमजोरियों की पहचान करने के
लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सहायक संस्था की स्थापना कर रहा है।
असर: साइबर सिक्योरिटी को मजबूत किया जा सकेगा, बैंकों की डिजीटल गतिविधियों के लिए अधिक प्रभावकारी नियम
((ब्याज दरों में कटौती का इकोनॉमी, आम लोगों के लिए मायने
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/blog-post_35.html
((रिजर्व बैंक का तोहफा, रेपो रेट 0.5%घटाकर 6.75 % किया, CRR में बदलाव नहीं
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/05-675-crr.html
कोई टिप्पणी नहीं