आपके पैसों पर अप्रैल इफेक्ट: कहीं कम ब्याज, कहीं मिलेगा ब्याज, कर्ज दर तय करने के नए नियम

नियमों में बदलाव के हिसाब से निवेश योजना तैयार करने में समझदारी है.....

अप्रैल 2016 डिपॉजिट, कर्ज, ईपीएफ पर ब्याज के संबंध में कई बदलाव लेकर आया है। इस बदलाव के बाद आपको अपने निवेश योजना या फिर कोई कर्ज लेने की सोच रहे हैं तो उसके संबध में नए तरीके से सोचने की जरूरत है।

>छोटी बचत स्कीम: 
इस साल अप्रैल से सरकार ने पीपीएफ, किसान विकास पत्र, पोस्ट ऑफिस सेविंग्स स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना,वरिष्ठ नागरिक बचत स्कीम, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट सहित तमाम छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज को बाजार आधारित कर दिया है। यही नहीं अब हर तीन महीने पर इसकी समीक्षा होगी और नई ब्याज दर तय की जाएगी। अप्रैल-जून के लिए सरकार ने इन योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज को सरकार ने पहले ही कम कर दिया है।
ब्याज दर (% सालाना): अप्रैल-जून तिमाही 2016 के लिए-
> छोटी बचत स्कीम                    पहले ब्याज दर          1 अप्रैल से ब्याज दर 
-बचत जमा                                         4                            4
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-1 साल की सावधि जमा                      8.4                        7.1
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-2 साल की सावधि जमा                      8.4                        7.2
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-3 साल की सावधि जमा                       8.4                       7.4
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-5 साल की सावधि जमा                       8.5                       7.9
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-5 साल की रेकरिंग जमा                       8.4                       7.4
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-5 साल की वरिष्ठ नागरिक बचत योजना  9.3                       8.6
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-5 साल की मंथली इनकम अकाउंट स्कीम  8.4                      7.8
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-5 साल की नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट       8.5                      8.1
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-पब्लिक प्रोविडेंट फंड ( PPF)                  8.7                      8.1
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-किसान विकास पत्र                                8.7                      7.8(110 महीन में मैच्योर)
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-सुकन्या समृद्धि अकाउंट स्कीम                 9.2                        8.6
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((1 अप्रैल से PPF समेत छोटी बचत स्कीम्स पर कम ब्याज मिलेगा 

>EPF (कर्मचारी भविष्य निधि): 
कई लोग नौकरी तो बदलते हैं लेकिन पुरानी कंपनी में जमा पीएफ का पैसा निकालना भूल जाते हैं। ऐसे में उनका पीएफ अकाउंट निष्क्रिय हो जाता है और बिना ब्याज का पैसा यूं ही पड़ा रहता है। लेकिन अब सरकार ने इन निष्क्रिय पड़े पीएफ अकाउंट पर भी ब्याज देने का फैसला किया है। इससे देश के 9 करोड़ बंद पड़े पीएफ खाता के धारकों को फायदा होगा।

क्या होते हैं निष्क्रिय खाते या इनऑपरेटिव अकाउंट्स ? 

बंद पड़े खाते या निष्क्रिय खाते या इनऑपरेटिव अकाउंट्स वह खाते हैं, जिनमें पिछले 36 महीनों यानी
3 सालों से ना ही कर्मचारी और ना ही कम्पनी की ओर से रकम डाले गए हों।

((44 हजार करोड़ रुपए के संबंध में बड़ा फैसला, 1 अप्रैल से होगा लागू 

> कर्ज की दर तय करने के नए नियम: 
आज से यानी एक अप्रैल से कर्ज की दरों में संशोधन का नया नियम लागू हो गया है। रिजर्व बैंक के निदेश के बाद स्टेट बैंक समेत कई बैंकों ने आज से लेंडिंग रेट्स में बदलाव किया है।
((SBI ने नई प्रणाली के आधार पर ब्याज दरों में संशोधन किया 

लेंडिंग रेट्स तय करने के क्या हैं नए नियम:
बैंकों को अब कोष की सीमांत लागत के आधार पर (MCLR) ब्याज दर में संशोधन करना होगा। इसके तहत बैंकों को एक बेंचमार्क दर के बजाय कम से कम पांच बेंचमार्क दरों की घोषणा करनी होगी जो विभिन्न अवधि के हिसाब से अलग-अलग होगी। इसी क्रम में स्टेट बैंक ने एक दिन के कर्ज से लेकर एक महीने, तीन महीने, छह महीने और एक साल की अवधि वाले कर्ज के लिए अलग-अलग बेंचमार्क दरों की घोषणा की है।

वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक ने लंबी अवधि के कर्ज के लिए बेंचमार्क दर निर्धारित करने की जिम्मेदारी बैंक के ऊपर छोड़ी है।

कुल मिलाकर, अगर आप अप्रैल 2016 और उसके बाद से अगर छोटी बचत स्कीम में पैसे लगाने जा रहे हों या फिर किसी बैंक से कर्ज लेने जा रहे हों, तो ब्याज दर पर जरूर एक नजर डाल लें।

((RBI का MCLR प्रणाली पर अपने निदेशों पर सफाई


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