गांवों पर केंद्रित बजट में मध्यम वर्ग के लिये ज्यादा कुछ नहीं


(साभार-भाषा)
नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) देश में आम चुनावों का बिगुल बजने से पहले वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज अपने अंतिम पूर्ण बजट को गांवों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, किसानों व बुजुर्गों पर केंद्रित रखा। इसमें शहरी यानी मध्यम वर्ग के लिये कोई बड़ी घोषणा नहीं है और आयकर स्लैब और दरों को भी यथावत रखा गया है।

बजट की एक बड़ी घोषणा देश की लगभग आधी आबादी को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने वाली ‘दुनिया की अपनी तरह की सबसे बड़ी’ सरकार पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरूआत है।

बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि यह आम लोगों को सरल बनाने के साथ ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण का वाहक बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने बजट की सराहना करते हुए इसे किसानों, आम नागरिकों व कारोबार के अनूकूल बताया है।

उन्होंने कहा, ‘‘बजट किसानों, आम लोगों तथा कारोबारियों के लिये अनुकूल है। इससे लोगों का जीवन व कारोबार सुगम होगा।’’ वहीं विपक्षी दलों ने बजट को निराशाजनक करार दिया है। कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘बजट में मध्यम वर्ग की उपेक्षा की गयी है और रोजगार के लिये कुछ नहीं किया गया है।’’ वामदलों ने बजट को चुनावों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया ‘बड़ा जुमला’ बताया है। जेटली ने वेतनभोगी वर्ग के लिए आयकर में एक दशक बाद मानक कटौती का लाभ फिर देते हुए इसके साथ कुछ शर्तें जोड़ दी हैं। इसके अलावा बजट में मध्यम वर्ग को रिझाने वाली कोई बड़ी घोषणा नहीं है। आयकर और कार्पोरेट कर पर स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर की दर तीन प्रतिशत से बढ़ा कर चार प्रतिशत कर दी है।

उल्लेखनीय भाजपा नीत राजग सरकार का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है और इसके पहले इस साल कुछ बड़े राज्यों में विधान सभा चुनाव भी होने जा रहे हैं। चुनाव यदि अगले साल अप्रैल में होते हैं तो यह सरकार एक लेखानुदान बजट ला सकती है।

लोकसभा में लगातार पांचवां बजट पेश करते हुए जेटली ने आयकर की दरों और स्लैब में कोई बदलाव किये बना वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को 40,000 रुपये की मानक कटौती देने की घोषणा की है। लेकिन इस कटौती के बाद इस समय वेतन के साथ मिलने वाले परिवहन और सामान्य चिकित्सा भत्ते पर कर की छूट खत्म हो जाएगी।

फिलहाल 19,200 रुपये तक के परिवहन भत्ते तथा 15,000 रुपये तक के चिकित्सा व्यय पर कोई कर नहीं लगता। इसके बदले 40,000 की मानक कटौती की छूट मिलेगी। स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर में वृद्धि को देखते हुए इसका मतलब है कि कर बचत के लिहाज से थोड़ा सा फायदा होगा।

मानक कटौती से सरकार को अनुमानित 8,000 करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व का परित्याग करना पड़ेगा।

जेटली ने बजट में अति धनाढ़्यों पर 10 से 15 प्रतिशत अधिभार जारी रखा गया है।

कुल 24,42,213 करोड़ रुपये के बजट में एक महत्वपूर्ण बात सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है। इसके तहत एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरूआत किये जाने की घोषणा की गयी है। इसमें प्रति वर्ष 10 करोड़ गरीब परिवार यानी लगभग 50 करोड़ लोगों को अस्पताल में भर्ती होने पर 5-5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराया जाएगा।

जेटली ने कहा कि यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है।

उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा पर 1.38 लाख करोड़ रुपये व्यय की प्रतिबद्धता जतायी।

करीब दो घंटे (110 मिनट) के भाषण में वित्त मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के लिये बैंक जमा पर ब्याज से आय की छूट सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया। साथ ही उनकी मियादी जमाओं पर मिलने वाले ब्याज पर स्रोत पर कर कटौती नहीं होगी। बुजुर्गों को अब वय वंदना योजना के तहत निवेश की सीमा बढ़ा कर 15 लाख रुपये कर दी गयी है जो अब तक 7.5 लाख रुपये थी।

वित्त मंत्री ने गंभीर बीमारियों के इलाज खर्च पर कर की दृष्टि से कटौती को बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया है।

बजट में कल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढ़ाचा विकास पर खर्च के लिए हालांकि राजकोषीय घाटे को थोड़ा बढ़ने दिया गया है और अगले वर्ष इसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य है जबिक पहले की योजना के अनुसार इसे 3 प्रतिशत तक सीमित रखना था।

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत हो जाएगा जबकि बजट में इसके 3.2 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखा गया था।

बजट में शेयरों की बिक्री से एक लाख रुपये से अधिक के पूंजी लाभ पर 10 प्रतिशत कर का प्रस्ताव किया गया है लेकिन पिछले निवेश पर इस साल 31 जनवरी तक की अवधि के लाभ पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा।

इस घोषणा से शेयर बाजारों पर असर पड़ा और एक समय बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 460 अंक तक लुढ़क गया। पर अंत में यह 58.36 अंक टूटकर 35,906.66 अंक पर बंद हुआ।

साथ ही बजट में इक्विटी वाले म्यूचुअल फंड में वितरित आय पर 10 प्रतिशत कर का भी प्रस्ताव किया गया है।

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