आम बजट 2018-19: राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (मोदीकेयर)

सर्वेभवन्तु: सुखिन:, सर्वे संतु: निरामया के मार्गदर्शक के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार का मानना है कि स्वास्थ्य मानव विकास का हृदय है। सरकार एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली और जन केंद्रित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है जो कि लोगों के घरों के नजदीक हो।
आयुष्मान भारत के तहत सरकार ने आज जिन दो दूरगामी पहलों की घोषणा की है वे 2022 तक नए भारत का निर्माण करेंगी। इससे संवर्धित उत्पादकता कल्याण में वृद्धि होगी और इनसे मजदूरी की हानि और दरिद्रता से बचा जा सकेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की नींव के रूप में स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों की परिकल्पना की गई है। ये 1.5 लाख केंद्र, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को लोगों के घरों के नजदीक लाएंगे। ये स्वास्थ्य केंद्र असंचारी रोगों और मातृत्व तथा बाल स्वास्थ्य सेवाओं सहित व्यापक स्वास्थ्य देखरेख उपलब्ध कराएंगे। यह केंद्र आवश्यक दवाइयां और नैदानिक सेवाएं भी मुफ्त उपलब्ध रहेंगे।
आयुष्मान भारत के तहत दूसरा कार्यक्रम स्वास्थ्य संरक्षण योजना है। हम सब जानते हैं कि देश में लाखों परिवारों को अस्पतालों में अंतरंग इलाज कराने के लिए उधार लेना पड़ता है या संपत्तियां बेचनी पड़ती हैं। सरकार ऐसे परिवारों के प्रति चिंतित है। मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना स्कीम गरीब परिवारों को 30,000 रूपये की वार्षिक कवरेज प्रदान करती है। अनेक राज्य सरकारों ने भी कवरेज में विविधता उपलब्ध कराके स्वास्थ्य संरक्षण योजनाएं कार्यान्वित अनुपूरित की हैं। अब हमारी सरकार ने स्वास्थ्य संरक्षण को और अधिक आकांक्षा वाला स्तर प्रदान करने का निर्णय लिया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना के तहत 11 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रूपए तक का इलाज हेतु कवरेज दिया जा रहा है। इस योजना के लिए इस वर्ष 2000 करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है। राज्यों के पास इस योजना को लागू करने के लिए ट्रस्ट मॉडल या बीमा कम्पनी आधारित मॉडल अपनाने का विकल्प है हालांकि ट्रस्ट मॉडल को प्राथमिकता दी जाएगी। आयुष्मान भारत के तहत ये दो दूरगामी पहले वर्ष 2022 तक एक नए भारत का निर्माण करेंगी और इनमें संवर्धित उत्पदकता, कल्याण में वृद्धि होगी और इनसे मजदूरी की हानि और दरिद्रता से बचा जा सकेगा। इन योजनाओं से, खासकर महिलाओं के लिए रोजगार के लाखों अवसर सृजित होंगे। सरकार सर्वजन स्वास्थ्य कवरेज के लिए स्थायी रूप से किन्तु निश्चित रूप से उत्तरोत्तर अग्रसर है।
किसी दूसरी संक्रामक बीमारी की तुलना में टी.बी. से हर वर्ष अधिक जानें जाती हैं। यह मुख्य रूप से गरीब और कुपोषित लोगों को प्रभावित करती है। इसलिए सरकार टी.बी. से पीड़ित सभी रोगियों को उनके उपचार की अवधि के दौरान 500 रूपये प्रति माह के हिसाब से पोषणाहार सहायता प्रदान करने के लिए 600 करोड़ रूपये की अतिरिक्त राशि आबंटित की है। गुणवत्तायुक्त चिकित्सा, शिक्षा और स्वास्थ्य देख-रेख की पहुंच में और वृद्धि करने के उद्देश्य से, हम देश में मौजूद जिला अस्पतालों को अपग्रेड करके 24 नए सरकारी चिकित्सा कॉलेजों और अस्पतालों की स्थापना करेंगे। इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक 3 संसदीय क्षेत्रों के लिए कम से कम एक चिकित्सा कॉलेज और देश के प्रत्येक राज्य में कम से कम एक सरकारी चिकित्सा कालेज है। इसके अतिरिक्त सिक्किम में सरकारी चिकित्सा कॉलेज की स्थापना की जाएगी क्योंकि वहां अभी एक भी सरकारी चिकित्सा कॉलेज नहीं है। उपरोक्त पहलों के लिए केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी क्रमश: 60:40 होगी।
मोदीकेयर’ के रूप में चर्चित राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना के तहत कुल आबादी के 40 प्रतिशत यानी 10 करोड़ परिवारों को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आने पर पांच लाख रुपये तक की चिकित्सा बीमा सुरक्षा दी जाएगी। जेटली ने कहा कि इसे अगले साल से शुरू किया जाएगा। 
जेटली ने यहां कहा, ‘‘इसके तहत माध्यमिक और उच्चस्तरीय अस्पतालों में भर्ती के खर्च का बीमा होगा। निश्चित तौर पर इसमें तमाम सरकारी अस्पताल और कुछ चुनिंदा निजी अस्पताल शामिल होंगे। यह योजना विश्वास और बीमा के मॉडल पर आधारित हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि इसके तरीके पर नीति आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि इसे अगले वित्त वर्ष में क्रियान्वयित किया जाएगा।
ओपन मैगजीन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि बीमा मॉडल होने से जैसे जैसे बीमाधारकों की संख्या बढ़ेगी, प्रीमियम कम होगा।
जेटली ने योजना के पूरी तरह सरकारी वित्तपोषित होने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि दो हजार करोड़ रुपये की शुरुआती राशि का आवंटन कर दिया गया है। योजना के लागू होने के बाद जितनी भी राशि की आवश्यकता होगी, वह दी जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले साल में मैं और सहज स्थिति देख पा रहा हूं। जहां तक प्रत्यक्ष कर में ग्राफ का संबंध है तो यह तेजी से चढ़ेगा।’’ जेटली ने कहा कि नोटबंदी तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद प्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या बढ़ी है। कर-चोरी रोकने के उपाय होते ही मुझे जीएसटी संग्रह में भी बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। मुझे नहीं लगता कि राजस्व कोई बड़ी चुनौती होने वाला है।

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