RBI मौद्रिक पॉलिसी कल: क्या जाते-जाते राजन देंगे तोहफा या रेट कटौती के लिए अक्टूबर तक करना होगा इंतजार !

बाजार और इंडस्ट्री की नजर कल होने वाली रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी बैठक पर है। गवर्नर रघुराम राजन की ये आखिरी पॉलिसी बैठक होगी। राजन इस बैठक में ब्याज दर में कटौती का तोहफा देंगे या नहीं, सबकी निगाहें इसी बात पर रहेंगी। अगर मौजूदा मैक्रोइकोनॉमिक डेटा की बात करें तो पिछली बैठक के मुकाबले इस बार भी इसमें बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुए हैं यानी ब्याज दर में कटौती की उम्मीद पूरी होने की गुंजाइश कम ही है। 

मॉनसून और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर हालांकि अच्छी खबर है लेकिन महंगाई दर, कमोडिटी की कीमत, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से होने वाले संभावित असर के अलावा बैंकों द्वारा कर्ज की दरों में रेपो रेट के मुकाबले बहुत कम कटौती को वजह बताते हुए रघुराम राजन ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं।
  
उधर, अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने पिछली बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। राजन इस बात को भी ध्यान में रखेंगे कि फेडरल रिजर्व का अगला कदम क्या होगा। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 2009 के बाद पहली बार ब्याज दरों में कटौती की है। फेडरल रिजर्व ने 2006 के बाद पिछले साल ब्याज दर में चौथाई परसेंट की बढ़ोतरी की थी। 

रिजर्व बैंक ने अप्रैल में हुई मौजूदा वित्त वर्ष की पहली समीक्षा बैठक में रेपो रेट में चौथाई परसेंट की कटौती की थी। 

रिजर्व बैंक की मौजूदा दरें: 
रेट                                                                           (%)                     
>रेपो रेट                                                                   6.50                          
>रिवर्स रेपो रेट                                                               6                               
>मार्जिनल स्टैंडिंग  फैसिलिटी रेट (MSF)                      7                                
>कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)                                               4                              



ब्याज दर में कटौती के लिए रिजर्व बैंक कुछ और आंकड़ों का इंतजार करेगा...
भारतीय मौसम विभाग की मानें तो, मॉनसून भले ही देर से आया, लेकिन जून-जुलाई में बारिश उम्मीद के मुताबिक ही हुई है। विभाग ने साथ ही ये भी कहा है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अपने बाकी के दो महीने यानी अगस्त-सितंबर में भी औसत से ज्यादा बरसेगा यानी मॉनसून को लेकर फिलहाल ज्यादा चिंता की बात नहीं है लेकिन सितंबर तक इसकी प्रगति का इंतजार करना होगा। खरीफ फसलों की बुआई की बात करें तो 5 अगस्त तक पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले ज्यादा बुआई हो चुकी है। 
  

महंगाई डायन का पंजा कम होने के बदल फैलता जा रहा है। ताजा महंगाई दर के आंकड़ों की बात करें तो इस साल जून में खुदरा महंगाई दर (CPI)  5.77% दर्ज की गई, जो कि इस साल मई में 5.76% और पिछले साल जून में 5.40% थी। हालांकि, इस दौरान खुदरा खाद्य महंगाई दर में जोरदार बढ़ोतरी चिंता का वजह बनी हुई है। पिछले साल जून में ये 5.48% थी जबकि इस साल जून में ये बढ़कर 7.79% हो गई है। इस दौरान सब्जियों के दाम 14.74%, दाल और उसके उत्पाद के दाम 26.86% जबकि चीनी और मिठाइयों  के दाम 26.86% बढ़े। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर से नरमी आ रही है जो कि हमारे लिए अच्छी खबर है लेकिम दूसरी कमोडिटीज के दाम में कमी नहीं आना हमारी मुश्किलों को बढ़ा सकता है। 



औद्योगिक उत्पादन ने इस साल अप्रैल में अचानक सुस्त पड़ने के बाद मई में फिर से रफ्तार पकड़ी है। ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के उद्योगों का बैरोमीटर माना जाने वाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) मई में सालाना आधार पर 1.2% बढ़ा है। हालांकि पिछले साल मई में औद्योगिक उत्पादन सालाना आधार पर 2.5% बढ़ा था। इस साल अप्रैल में यह सालाना आधार पर 0.8% (संशोधित 1.35%)घट गया। पिछले साल अप्रैल में सूचकांक 3.01% बढ़ा था। यानी इकोनॉमी में ग्रोथ को बढ़ाने के लिए ब्याज दर में और कटौती की मांग को राजन आईआईपी में बढ़ोतरी का हवाला देकर खारिज कर सकते हैं। 


इसके अलावा रिजर्व बैंक इस बात भी गौर करेगा कि बैंक ब्याज दरों में पूरी कटौती का फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं या नहीं। पिछले साल जनवरी से अब तक रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में डेढ़ परसेंट की कटौती कर चुका है लेकिन बैंक अब तक केवल 0.5-0.6% की ही कटौती का फायदा ग्राहकों को दे पाए हैं। इस साल अप्रैल बैठक में रेपो रेट में की  गई 0.25% की कटौती के बाद बहुत कम बैंकों ने ही अपने बेस रेट घटाए हैं। यानी सस्ते लोन का इंतजार कर रहे लोगों  के लिए ये कहना मजबूरी बन गई है कि इंतहा हो गई इंतजार की...। ऐसे में रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद करना शायद ही सही हो।  

सातवां वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद रिजर्व बैंक को महंगाई बढ़ने का डर सता रहा है। केंद्र सरकार ने अगस्त महीने से सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक कर्मचारियों को वेतन देने का ऐलान किया है। महंगाई पर इसका क्या असर पड़ेगा रिजर्व बैंक इसका अध्ययन करेगा। अगर इससे मंहगाई बढ़ने के सबूत मिलते हैं तो शायद ही रिजर्व बैंक अभी कोई रेट कटौती का खतरा मोल ले। 

जानकार अक्टूबर की पॉलिसी बैठक में रेट कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। उस समय तक राजन का उत्तराधिकारी की  का नाम भी सामने आ जाएगा, क्योंकि राजन सितंबर के पहले हफ्ते में गवर्नर के पद से मुक्त होंगे। इसके अलावा मॉनसून, सातवें वेतन आयोग के सिफारिशों का असर समेत कई मैक्रोइकोनॉमिक डेटा पर भी सफाई आ जाएगा। 
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