रिजर्व बैंक की पॉलिसी बैठक आज, ब्याज दर में 0.25% या 0.50% की कटौती की सौगात देंगे राजन !

-बारिश कम, ग्रोथ बेदम, क्या राजन दिखाएंगे दमखम? 
वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं हर कोई ब्याज दर में कमी चाहता है लेकिन वो इसके लिए रिजर्व बैंक पर दबाव नहीं डालेंगे। वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा कहते हैं अभी माहौल ब्याज दर में कटौती करने लायक है लेकिन ये फैसला रिजर्व बैंक को करना है। लेकिन, इन सबके बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन क्या सोचते हैं।

राजन हमेशा कहते हैं कि रिजर्व बैंक हर परिस्थिति पर नजर रखे हुए है। साथ ही वो ये भी मानते हैं कि रिजर्व बैंक का काम हमेशा के लिए महंगाई दर को नीचे रखना है। वो ग्रोथ बढ़ाने के लिए जल्दबाजी करने पर आगाह करते हुए कहते हैं सही तरीके, व्यवस्थित तरीके से ही ग्रोथ बढ़ाने पर काम होना चाहिए।

रिजर्व बैंक आज पॉलिसी की बैठक कर रहा है। जानकारों को उम्मीद है कि घटती ग्रोथ को थामने के लिए राजन ब्याज दर में चौथाई या आधे परसेंट की कटौती कर सकते हैं। हालांकि, राजन हमेशा से महंगाई दर को काबू में रखने की प्राथमिकता देते आ रहे हैं।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर को स्थिर रखे जाने के बाद उस पर एक बार फिर से ब्याज दर में कटौती का दबाव बन गया है। बता दें कि 16,17 सितंबर की बैठक के बाद फेडरल रिजर्व ने ग्लोबल ग्रोथ में कमी की आशंका, चीन की चिंता और अमेरिका में अनुमान के मुताबिक महंगाई दर में बढ़ोतरी नहीं होने का हवाला देते हुए ब्याज दर बढ़ाने से इनकार कर दिया, जबकि कई जानकार ब्याज दर में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे।

((अमेरिका का फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर स्थिर रखा, बाजार को राहत 
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बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) और DBS जैसे ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म के मुताबिक, बाहरी जोखिमों में कमी होने से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में कटौती की राह खुली है। इनके अनुसार घरेलू घटनाक्रम भी इसके अनुकूल हैं। बोफा एमएल ने एक शोध पत्र में कहा है, 'हमें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन 29 सितंबर को 0.25% और फरवरी में और 0.25% कटौती करेंगे। CPI महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा 6% से कम बनी हुई है। DBS ने एक शोध पत्र में कहा है, 'बाहरी जोखिमों के कम होने से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस महीने रेपो दर में 0.25 % कटौती की राह खुली है।

इसके अलावा, ग्लोबल ग्रोथ में कमी के अनुमान और घरेलू ग्रोथ में पहली तिमाही में कमी के बाद राजन पर ब्याज दर में कटौती का दबाव बढ़ गया है।

उधर, OECD यानी ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने 2015 और 2016 दोनों वर्षों के लिए वर्ल्‍ड इकोनॉमिक ग्रोथ के पूर्वानुमानों को कम कर दिया है। संगठन ने ब्राजील में बड़े स्‍लोडाउन, अमेरिका की कमजोरी और चीन में अनिश्चितता की वजह से उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर मंडराते खतरे को देखते हुए यह कदम उठाया है।

ओईसीडी ने इस साल के लिए वर्ल्‍ड ग्रोथ अनुमान को 3.0 % कर दिया है, जो कि जून में जारी किए गए अनुमान से 0.1 % कम है। 2016 में वर्ल्‍ड इकोनॉमी ग्रोथ का अनुमान ओईसीडी ने घटाकर 3.6 % कर दिया है, जो तीन माह पहले जारी अनुमान से 0.2 % कम है। इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा
कोष यानी IMF ने भी भारत समेत ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान घटा दिया था।

क्यों है ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश: 
-काबू में महंगाई दर: इस साल अगस्त में खुदरा महंगाई 3.66% की दर से बढ़ी है जबकि इस साल जुलाई में ये 3.69% (3.78% से संशोधित) की दर से और पिछले  साल अगस्त में 7.03% की दर से बढ़ी थी। हालांकि इस दौरान खुदरा खाद्य महंगाई दर यानी CFPI (कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स) पर आधारित महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है।

((अगस्त की खुदरा महंगाई दर (CPI) में मामूली कमी 
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अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी की कीमतों में लागातर कमी से भी घरेलू महंगाई पर दबाव कम होने की उम्मीद है।
((अगस्त में थोक महंगाई (WPI) लगातार 10वें महीने घटी 
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अगस्त में लगातार 10 वें महीने थोक महंगाई दर (WPI महंगाई) में गिरावट आई है। इस साल जुलाई में थोक महंगाई दर में 4.05% की कमी आई थी जबकि अगस्त में इसने 4.95% की गिरावट दर्ज की।

-घरेलू ग्रोथ को झटका: इस साल जुलाई के IIP  आंकड़ों ने तो इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर दी है लेकिन इस साल की पहली तिमाही की  घरेलू विकास दर (GDP) को लेकर थोड़ी चिंता बढ़ गई है।

औद्योगिक उत्पादन की विकास दर ने लगातार दूसरे महीने इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर दी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अच्छी ग्रोथ से जुलाई के IIP नंबर उम्मीद से बेहतर रहे हैं। इस साल जुलाई में आईआईपी 3.5% रहने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन ये 4.2% दर्ज की गई। जून में ये 4.4%( 3.8% से संशोधित) थी जबकि पिछले साल जुलाई में 0.9% थी।

((इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर, जुलाई IIP@4.2%
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इस साल की पहली तिमाही में देश ने 7% की दर से विकास किया है लेकिन मार्च तिमाही में ये दर 7.5 % और पिछले वित्त वर्ष में 7.3% था। आईएमएफ ने इस वित्त वर्ष का ग्रोथ अनुमान भी घटा दिया है।

((देश के विकास की रफ्तार धीमी पड़ी, अप्रैल-जून तिमाही में GDP@7.00%
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-क्रेडिट ग्रोथ में तेजी का इंतजार: बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ में कमी भी चिंता बनी हुई है।

((जून तिमाही में बैंकों की क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ में कमी 
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राजन ब्याज घटाने से क्यों कतरा रहे हैं...

-बैंक ब्याज दर की कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। राजन इस साल जनवरी से लेकर अब तक ब्याज दर में 0.25-0.25% की तीन बार कटौती करते हुए 0.75% की कटौती कर चुके हैं लेकिन बैंक अधिक कॉस्ट ऑफ फंडिग का हवाला देते हुए मुश्किल से ग्राहकों को 0.3-0.4% की ही कटौती का फायदा दे पाए हैं। हालांकि देश के दूसरे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक ने ब्याज दर में 0.65% की कटौती की है।

-खरीफ फसलों की बुआई 18 सितंबर तक पिछले साल की इस अवधि के मुकाबले 1.6% अधिक है , लेकिन कम बारिश से चिंता बनी हुई है। इस साल अनाज उत्पादन में भी कमी का अनुमान जताया गया है।

खरीफ फसलों की बुआई 18 सितंबर तक 1021.86 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है जबकि पिछले साल की इस अवधि तक 1005.84 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान धान, दलहन, मोटे अनाज, तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि कपास का रकबा घटा है।

((करीब 1022 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/1022.html

हालांकि खरीफ फसलों की बुआई बढ़ी है लेकिन इस साल खरीफ फसलों के उत्पादन अनुमान का आंकड़ा थोड़ी चिंता पैदा करता है। पहले पूर्वानुमान के मुताबिक, 2015-16 के खरीफ सीजन में 12.40 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जो कि पिछले खरीफ सीजन के कुल उत्पादन से कम है। 2011-12 में 13.12 करोड़ टन का रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन हुआ था। उधर, देशभर में सामान्य से कम बारिश भी परेशानी का सबब बन गई है।

डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर, कोऑपरेशन और फार्मर वेल्फेयर ने इस वित्त वर्ष के खरीफ फसलों के उत्पादन का पहला एडवांस अनुमान जारी किया है। इसके मुताबिक, इस साल 124.05 मिलियन टन खरीफ अनाज का उत्पादन होगा, जो कि पिछले साल के खरीफ फसल उत्पादन के पहले एडवांस अनुमान से 3.78 मिलियन ज्यादा है।

2015-16 खरीफ उत्पादन का पहला एडवांस अनुमान(मिलियन टन)

खरीफ फसल
2015-16 पहला एडवांस अनुमान
2014-15 पहला एडवांस अनुमान
कुल अनाज
124.05
120.27
चावल
90.61
93.2
मोटा अनाज
27.88
27.05
दलहन
5.56
5.20
तुअर
2.61
2.48
उड़द
1.37
-
तिलहन
19.89
19.66
सोयाबीन
11.83

मूंगफली (ग्राउंडनट)
5.11

कैस्टरसीड (अरंडी)
1.94

कपास
33.51 मि.टन बेल्स (1 बेल्स:170 kg)
34.62
जूट
10.28 मि.टन बेल्स (1 बेल्स:180 Kg
-
गन्ना
341.43
341.77

साथ ही विभाग ने इस साल के मॉनसून सीजन में देशभर में सामान्य से 15कम बारिश हुई है जो कि पिछले साल के मुकाबले अधिक कम है। पिछले साल इस सीजन में सामान्य से 12कम बारिश हुई थी। मंत्रालय ने बताया कि राज्यों से जैसे-जैसे खरीफ फसलों के बारे में जानकारी मिलती जाएगी, दूसरा एडवांस अनुमान जारी किया जाएगा।

कम बारिश के बावजूद खरीफ फसल उत्पादन में बढ़ोतरी की वजह:
-समय पर मॉनसून का आना
-सरकार की तत्परता और उत्पादन में कमी ना हो, इसके लिए आपातकालीन व्यवस्था
-समय पर किसानों को परामर्श

-बीज और फर्टिलाइजर की उपलब्धता को लेकर सरकार की लगातार निगरानी 

राजन के लिए ग्रोथ से ज्यादा महंगाई की चिंता है। महंगाई दर में हालांकि काफी कमी आई है लेकिन राजन शायद चाहते हैं कि ये कमी टिकाउ रहे, तभी ब्याज दर में और कमी की जा सकती है। खुदरा खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी का रुझान, सामान्य से कम बारिश के अलावा खरीफ फसलों के उत्पादन में कमी के अनुमान भी राजन के लिए चिंता की बात हो सकती है।

((पिछली पॉलिसी बैठक में ब्याज नहीं घटाने के राजन के तर्क
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_94.html

((तो,18 सितंबर को रघुराम राजन घटाएंगे ब्याज ? 
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/17_24.html

((पॉलिसी की पाठशाला 
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/rbi.html

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